US Stock Market: ट्रंप के टैरिफ एलान के बाद से लगातार यूएस-चीन की ट्रेड टेंशन बढ़ती जा रही है. इसका खुद अमेरिकी शेयर बाजार पर बहुत ही बुरा असर पड़ रहा है. वैश्विक बाजार धाराशयी होता नजर आ रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से चीन के ऊपर लगाए गए 104% टैरिफ के बाद यूएस स्टॉक मार्केट में तीसरे कारोबारी दिन यानी 8 अप्रैल को शेयर बाजार में गिरावट का दौर जारी रही. मंगलवार को थोड़ी रिकवरी के बाद बुधवार को डाउ फ्यूचर्स में 550 अंक की गिरावट देखी गई.

S&P 500 में 90 प्वाइंट्स यानी 1.6% नीचे 4,982.77 पर चला गया. समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 0.8% गिरकर 37,645.59 पर आ गया. जबकि नैस्डैक कंपोजिट इंडेक्स 2.2% यानी करीब 300 फिसलकर 4,982.77 पर आ गया. करीब एक साल पहले ये 5,000 के नीचे गया था. 

ट्रंप के टैरिफ के चलते सोमवार को ग्लोबल बाजार में भारी उथल-पुथल देखा गया. शंघाई से लेकर टोक्यो और सिडनी से लेकर हांगकांग तक एशिया-पैसिफिक रीजन के शेयरों में सोमवार को ऐसी गिरावट आयी जैसा पिछले कई दशकों में होते नहीं देखा गया. हालांकि, उसके एक दिन बाद मंगलवार को जापान के स्टॉक मार्केट में सुधार देखा गया.  Tokyo का Nikkei इंडेक्स सोमवार को जहां  7.8% लुढ़क गया था, वहीं मंगलवार की सुबह इसने जोरदार वापसी की और करीब 6% की बढ़त के साथ ट्रेड किया. जबकि,  Nikkei 225 इंडेक्स 5.81% या 1,809.92 पॉइंट चढ़कर 32,946.50 पर पहुंच गया. Topix इंडेक्स भी 6.20% या 141.82 पॉइंट की बढ़त के साथ 2,430.48 पर दिखा. जबकि, दूसरी तरफ दक्षिण कोरिया का Kospi इंडेक्स भी करीब 2 प्रतिशत के ऊपर ट्रेड कर रहा था. 

टैरिफ ने बढ़ाई टेंशन

चीन के शंघाई कम्पोजिट इंडेक्स में 8 परसेंट से अधिक, हांगकांग के हैंग सेंग में 13 परसेंट से अधिक और जापान के निक्केई इंडेक्स में 7.8 परसेंट से अधिक की गिरावट दर्ज की गई. जब स्टॉक मार्केट में लाल रंग गहराने लगे तो एक एनालिस्ट ने इसे 'ब्लडबाथ' करार दिया.  

यूरोपीय बाजारों में भी शुरुआती कारोबार में गिरावट आई. डिफेंस और बैंक के शेयरों में यह गिरावट सबसे अधिक रही. शेयर बाजार में यह उठापटक एशिया के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए किसी झटके से कम नहीं है क्योंकि अमेरिका इनके लिए एक बहुत बड़ा मार्केट है. यहां बने कपड़ों से लेकर कारों तक का एक्सपोर्ट अमेरिका में सबसे ज्यादा होता है.

ट्रंप के टैरिफ की चपेट में जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देश भी शामिल है, जिन पर 26 परसेंट टैरिफ लगाया गया है. ट्रंप वियतनाम जैसे विकासशील देश पर भी 46 परसेंट टैरिफ लगाने की तैयारी में हैं. इसके अलावा, कंबोडिया पर 49 परसेंट, थाईलैंड पर 36 परसेंट और चीन पर 54 परसेंट टैरिफ लगाया गया है. सिंगापुर, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे कई दूसरे देशों पर भी बेसलाइन टैरिफ लगना शुरू हो गया है. 

सता रहा मंदी का खतरा

इंवेस्टमेंट फर्म वैनगार्ड के एशिया-पैसिफिक के चीफ इकोनॉमिस्ट कियान वांग ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, ''अमेरिका के टैरिफ हाइक का खामियाजा एशिया को भुगतना पड़ रहा है. बातचीत की गुंजाइश बनी हुई है, लेकिन हाई टैरिफ का यह नया दौर बना रह सकता है.'' बताया जा रहा है कि ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी से अमेरिका में मंदी आने की संभावना है. इस बात से एशियाई देश काफी घबराए हुए हैं क्योंकि इससे उनके अमेरिका में एक्सपोर्ट को काफी नुकसान पहुंचेगा. 

लंदन स्टॉक एक्सचेंज ग्रुप की सब्सिडियरी कंपनी एफटीएसई रसेल में क्लाइंट कवरेज की हेड जूलिया ली ने बताया, ''टैरिफ ने महंगाई और मंदी की उम्मीदों को और बढ़ा दिया है.'' गोल्डमैन सैक्स ने अब अनुमान लगाया है कि अगले 12 महीनों में अमेरिका में मंदी आने की 45 परसेंट संभावना है, जो पिछले लगाए गए अनुमान से 35 परसेंट अधिक है क्योंकि इस इंवेस्टमेंट बैंक ने देश के लिए अपने आर्थिक विकास के पूर्वानुमान को कम कर दिया है. 

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