New Jobs: दुनियाभर में नौकरियों में छंटनी का दौर जारी है. ग्लोबल आर्थिक सुस्ती और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के चलते सबसे बुरी मार टेक कंपनियों के कर्मचारियों पर पड़ी है. साल 2023 के अंत से शुरू हुआ छंटनी का सिलसिला अभी तक जारी है. इसके अलावा नई नौकरियां भी मार्केट से गायब हैं. यह सिलसिला फिलहाल बंद होता नहीं दिखाई दे रहा है. हालांकि, ऐसे माहौल में भी कुछ ऐसे सेक्टर हैं, जिन पर आर्थिक सुस्ती का कोई असर होता नहीं दिखाई दे रहा और छंटनी जैसा शब्द वहां सुनाई भी नहीं पड़ रहा. आइए एक नजर इन सेक्टर के माहौल पर डाल लेते हैं. 


कॉस्ट कटिंग और वर्कफोर्स मैनेजमेंट के नाम पर बाहर किए लोग 


आईटी कंपनियों में नवंबर, 2023 से छंटनी का सिलसिला शुरू हुआ था. अल्फाबेट इंक ने साल 2024 की शुरुआत में ही कर्मचारियों को छंटनी की बुरी खबर दे दी थी. इसके अलावा एप्पल, अमेजन, मेटा, डेल, एरिकसन, सिस्को और सैप जैसी बड़ी कंपनियों लगातार लोगों को बाहर का रास्ता दिखा रही हैं. कुछ कंपनियों ने छंटनी को कॉस्ट कटिंग का रास्ता बताया तो कुछ ने वर्कफोर्स मैनेजमेंट. मगर, एक बात सच है कि ये कंपनियां कर्मचारियों को पिंक स्लिप पकड़ा रही हैं. 


इन सेक्टर्स में है नौकरी की अच्छी संभावना


हालांकि, साल 2024 में सोशल सर्विस, हेल्थकेयर, रिटेल, फूड, होटल और रियल एस्टेट जैसे सेक्टर्स में छंटनी जैसे शब्द सुनाई भी नहीं दे रहे. यहां नए लोगों को रिक्रूट करने का सिलसिला जारी है. साथ ही अच्छे अप्रैजल देकर प्रतिभाशाली लोगों को अपने साथ जोड़े रखने की कवायद जारी है. मार्केट में फार्मा कंपनियों का प्रदर्शन बेहतर हो रहा है. साथ ही हॉस्पिटल्स में डॉक्टर, नर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ की डिमांड भी बढ़ रही है. सरकार भी हेल्थकेयर सेक्टर में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में जुटी हुई है. इसलिए यहां नौकरियों की अच्छी संभावना बनी हुई है. 


रिटेल और होटल इंडस्ट्री भी तेजी से आगे बढ़ रही 


आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय रिटेल सेक्टर में आवश्यक वस्तुओं की डिमांड 2027 तक 1.1 ट्रिलियन डॉलर पहुंच सकती है. यह आंकड़ा तेजी से बढ़ेगा और साल 2032 तक इसके 2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. इसी तरह जीडीपी में होटल इंडस्ट्री की हिस्सेदारी साल 2022 तक 40 अरब डॉलर थी. अनुमान जताया जा रहा है कि साल 2027 तक यह आंकड़ा 68 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है. उम्मीद जताई जा रही है कि 2047 तक होटल इंडस्ट्री 1 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा छू लेगी. ऐसे में फिलहाल इन सेक्टर्स में नौकरियों पर कोई खतरा नजर नहीं आता.


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