नई दिल्ली: अगर आप दिल्ली में ट्रेवल करने के लिए कार पूलिंग करते हैं तो हो सकता है कुछ समय के बाद ये अतीत की बात हो जाए. टॉइम्स ऑफ इंडिया के हालिया रिपोर्ट के अनुसार सोमवार को दिल्ली में परिवहन विभाग की हाई लेवल कमेटी ने अपनी बैठक में कार पूलिंग रोकने के लिए नियम बनाने पर विचार किया.
इस नियम के तहत एग्रीगेटर प्लेटफ़ॉर्म के तहत चल रहे सभी कैब को परिवहन विभाग के साथ रियल टाइम का जीपीएस डेटा साझा करना होगा. हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस मामले पर अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है. हाई कमेटी ने सिर्फ इस कानून के कार्यान्वयन और व्यावहारिकता पर चर्चा की है.
5 सदस्यीय टास्क फोर्स का किया गया है गठन जनवरी 2018 में परिवहन विभाग की सिटी टैक्सी योजना 2017 के जरिए निर्धारित नीतियों पर विचार करने के लिए 5 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया गया था. इस टास्क फोर्स को 2017 में निर्धारित नीतियों पर विचार करने, जांच करने और अंतिम रूप देने के लिए गठित किया गया था, साथ ही ऐप-आधारित कैब एग्रीगेटर्स और ऐप-आधारित प्रीमियम बस सेवाओं के लाइसेंसिंग और विनियमन का भी काम दिया गया था.
लोक निर्माण विभाग सत्येंद्र जैन की अध्यक्षता वाली समिति में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत और विभाग के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश, मुख्य सचिव (वित्त) और पूर्व वार्ता और विकास आयोग ने भी भाग लिया.
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पैसेंजर्स को अलग-अलग जगह छोड़ने की अनुमति नहीं है रिपोर्ट में एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि समिति ने टैक्सियों के मुद्दों पर चर्चा की और स्पष्ट किया कि यह अनुबंध कैरिज परमिट के नियम कैबों और स्टेज कैरिज बसों को यात्रियों को अलग-अलग जगह छोड़ने की अनुमति नहीं देते हैं. इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि परमिट हासिल करने से पहले टैक्सी को अपनी पार्किंग की पूरी जानकारी देनी होगी और अब से उनके लिए सीएनजी या एलपीजी जैसे ग्रीन फ्यूल अनिवार्य किया जाएगा.
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गुड़गांव और नोएडा कैब पर भी लागू होंगे नियम इसके अलावा, अन्य राज्यों में रजिस्टर्ड वाहन को दिल्ली में टैक्सी के रूप में चालाने के लिए दिल्ली में उनके परमिटों को काउंटरसाइंड करने की जरूरत होगी, फिलहाल उबर या ओला एग्रीगेटर मॉडल के जरिए से संचालित कैब को परिवहन विभाग जीपीएस के जरिए अलग से ट्रैक नहीं करता है. यह नियम गुड़गांव और नोएडा कैब के लिए भी लागू होगा.