Tata Consultancy Services: टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) एक बार फिर से सुर्खियों में है, लेकिन इस बार मामला छंटनी का नहीं है, बल्कि लेबर कोर्ट के एक्शन को लेकर है. दरअसल, कंपनी ने मुंबई में रहने वाले अपने एक वर्कर को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया क्योंकि उसे अपने पिता की देखभाल करने के लिए छुट्टियां चाहिए थीं.

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सात साल से कर रहा था काम

यह शख्स सात साल से कंपनी में काम कर रहा है. इस बीच ICU में एडमिट बीमार पिता की देखभाल के लिए उसने इमरजेंसी में छुट्टी ली, तो कंपनी उस पर इस्तीफा देने का दबाव डालने लगी. आखिरकार उसने तंग आकर काम अपना इस्तीफा दे दिया. इसके बाद कंपनी ने उसे ग्रैच्युटी देने से मना किया, तो उसने लेबर ऑफिस में जाकर इसके खिलाफ अपील की और आखिरकार उसे जीत हासिल हुई. 

कंपनी को लेबर ऑफिस की चेतावनी 

फोरम फॉर IT एम्प्लॉइज (FITE) ने ट्वीट किया, काफी लीव बैलेंस होने के बावजूद TCS ने न सिर्फ उसे इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया, बल्कि उसकी ग्रेच्युटी भी नहीं दी. शिकायत के बाद मुंबई लेबर ऑफिस ने TCS मैनेजमेंट को तलब किया. लेबर कमिश्नर ने कंपनी को गलत लेबर प्रैक्टिस के बारे में चेतावनी दी और TCS को कर्मचारी की सात साल की सर्विस के लिए पूरी ग्रेच्युटी देने का आदेश दिया. इसके बाद शख्स को आखिरकार उसका पूरा ग्रैच्युटी अमाउंट मिल गया.

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अपने हक के लिए उठाएं आवाज

FITE ने बताया कि इससे हमें बड़ी सीख मिली. उन्होंने कहा, लेबर ऑफिस / लेबर मिनिस्ट्री के पास किसी भी कंपनी की अंदरूनी पॉलिसी पर सवाल उठाने और उसे चुनौती देने का पूरा अधिकार है—जैसे कि नौकरी से निकालना, जबरदस्ती इस्तीफा देना, गलत तरीके से नौकरी से निकालना या बकाया रकम रोकना. इस तरह की दिक्कतें आगे आए तो बताएं. आपके अधिकार तभी सुरक्षित हैं जब आप अपनी आवाज उठाएंगे.

 

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