आमतौर पर लोग टैक्स बचाने के उपायों पर अंतिम समय में गौर करते हैं, लेकिन समझदार व जागरुक टैक्सपेयर्स वित्त वर्ष की शुरुआत में ही इस उपाय में लग जाते हैं. एक ऐसा ही उपाय है कंपनियों की ओर से मिलने वाला मौका. कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को हर वित्त वर्ष की शुरुआत में सीटीसी में कुछ बदलाव करने की सुविधा देती हैं. अगर आपकी कंपनी भी सैलरी को रिस्ट्रक्चर करने की सुविधा दे रही है तो आप इसका इस्तेमाल टैक्स सेविंग में कर सकते हैं. आज हम आपको ऐसे ही आठ उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं...


फ्यूल व ट्रैवल रिम्बर्समेंट


अगर आप टैक्सी या कैब से ऑफिस जाते हैं तो इसे रिम्बर्स कराना टैक्स-फ्री होता है. वहीं अगर आप अपनी कार या कंपनी से दी गई कार का इस्तेमाल कर रहे हैं तो ईंधन व रख-रखाव के खर्च के लिए मिले भुगतान को टैक्स-फ्री करा सकते हैं.


ड्राइवर की सैलरी


कई कंपनियां अपने वरिष्ठ कर्मचारियों को ड्राइवर हायर करने के लिए पैसे देती है. इन मामलों में ड्राइवरों को दी जाने वाली सैलरी पर 900 रुपये प्रति माह की दर से मामूली टैक्स देना होता है.


लीव ट्रैवल असिस्टेंस


अगर चार साल की अवधि में दो बार क्लेम किया जाए तो आपके व आपके परिवार के घूमने-फिरने के खर्च के बदले मिले भुगतान को टैक्स-फ्री कराया जा सकता है. अब कोविड संबंधी पाबंदियां कम होने के बाद इस विकल्प का इस्तेमाल सुलभ हो गया है.


चल संपत्ति


अगर आपकी कंपनी चल संपत्ति खरीदने की सुविधा देती है तो मोटी बचत की जा सकती है. सेक्शन 17(2) के तहत अगर कोई गैजेट या उपकरण कंपनी के नाम पर खरीदा जाता है और कर्मचारी को पर्सनल यूज के लिए देती है तो इन मामलों में वैल्यू के महज 10 फीसदी के बराबर टैक्स लगता है.


इंटरनेट व फोन के बिल


वर्क फ्रॉम होम की लोकप्रियता ने इंटरनेट व फोन के बिल की अहमियत समझाई है. एक समय ऐसा था, जब लगभग हर कोई घर से ही काम कर रहा था. ऐसे खर्चों की रकम भी टैक्स-फ्री होती हैं. इसके लिए कर्मचरियों को मूल बिल लगाना पड़ता है.


अखबार व पत्र-पत्रिकाएं


अखबार व पत्र-पत्रिकाओं को खरीदने के लिए किए गए भुगतान भी टैक्स-फ्री होते हैं, बशर्ते उनका ऑरिजिनल बिल साथ में लगाया गया हो.


खाने-पीने के कूपन


इसके तहत एक वक्त के खाने के लिए 50 रुपये टैक्स-फ्री होते हैं. इस तरह से ऐसे कूपन का इस्तेमाल कर हर महीने 2,200 रुपये की सैलरी को टैक्स-फ्री बनाया जा सकता है. यह सुविधा लंबे समय से है, लेकिन कुछ ही कंपनियां इसका लाभ उठा रही हैं.


एनपीएस में योगदान


कई कंपनियां अपने कर्मचरियों को यह शानदार विकल्प देती है. सेक्शन 80 सीसीडी के तहत बेसिक पे के 10 फीसदी के बराबर की रकम का एनपीएस में योगदान करने पर यह टैक्सफ्री हो जाता है. साथ ही यह रिटायर होने के बाद सोशल सिक्योरिटी भी प्रदान करता है.


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