Silver Returns:  वैश्विक अनिश्चितताओं, सुरक्षित निवेश की बढ़ती मांग और औद्योगिक उपयोग में तेजी के चलते इस साल चांदी ने रिटर्न के मामले में न सिर्फ सोने बल्कि शेयर बाजार को भी पीछे छोड़ दिया है. जहां सोने ने इस साल अब तक करीब 70–72 प्रतिशत का रिटर्न दिया है, वहीं चांदी की कीमतों में 130 प्रतिशत से ज्यादा की जबरदस्त बढ़त देखने को मिली है.

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चांदी की चमक के आगे फीका सोना

अखिल भारतीय सर्राफा संघ के मुताबिक, दिल्ली में चांदी की कीमत बढ़कर 2,14,500 रुपये प्रति किलोग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है, जबकि साल की शुरुआत में यह 90,500 रुपये प्रति किलो थी. यानी एक साल के भीतर चांदी करीब 1,24,000 रुपये महंगी हो चुकी है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस तेजी के पीछे केवल सट्टेबाजी नहीं, बल्कि मजबूत बुनियादी कारण हैं.

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अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में आगे कटौती की उम्मीद, सरकारी बॉन्ड और मुद्राओं के मुकाबले वैकल्पिक निवेश की ओर रुझान, लगातार पांचवें साल चांदी की वैश्विक आपूर्ति में कमी और इलेक्ट्रिक वाहन, सौर ऊर्जा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे नए उद्योगों में बढ़ती औद्योगिक मांग ने इसकी कीमतों को मजबूती दी है. इसके अलावा ईटीएफ में निवेश, भौतिक चांदी की खरीद और सोना-चांदी के अनुपात में गिरावट भी यह संकेत दे रही है कि निवेशक अब चांदी को बेहतर अवसर के रूप में देख रहे हैं.

अगले साल 20 प्रतिशत तक तेजी

विशेषज्ञों का मानना है कि हालांकि अगले साल चांदी में इस तरह का असाधारण रिटर्न दोहराया जाना मुश्किल है, लेकिन फिर भी मजबूत मांग और सीमित आपूर्ति के चलते 2026 में 15 से 20 प्रतिशत तक की और तेजी संभव है. हालांकि निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे अस्थिरता को ध्यान में रखते हुए चरणबद्ध तरीके से निवेश करें और किसी भी फैसले से पहले पेशेवर वित्तीय सलाह जरूर लें.

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