घरेलू शेयर बाजार (Indian Share Market) के लिए बीता सप्ताह बढ़िया साबित हुआ. बीते सप्ताह के दौरान दोनों प्रमुख सूचकांकों बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) और एनएसई निफ्टी (NSE Nifty) ने करीब 1.50 फीसदी की छलांग लगाई. सोमवार 29 मई से बाजार का नया सप्ताह शुरू हो रहा है, और सप्ताह के दौरान ही महीना बदलने वाला है. आइए देखते हैं कि नए सप्ताह में बाजार कैसा रहने वाला है और किन फैक्टर्स से बाजार की चाल तय होने वाली है...
बीते सप्ताह यहां से मिली मदद
आगे बढ़ने से पहले बीते सप्ताह का हाल जान लें. बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स करीब 775 अंक की मजबूती में रहा और 62,500 अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार करने में सफल रहा. एनएसई निफ्टी भी सप्ताह के दौरान 18,450 अंक के पार निकल गया. पिछले सप्ताह बाजार को सकारात्मक वैश्विक संकेतों के साथ ही घरेलू स्तर पर मदद मिली. मार्च तिमाही के लिए कंपनियां परिणाम जारी कर रही हैं और मौजूदा रिजल्ट सीजन अनुमानों के अनुसार चल रहा है. इससे बाजार को मदद मिल रही है.
बड़ी कंपनियों के शेयर चमके
बीते सप्ताह के दौरान घरेलू शेयर बाजारों की तेजी व्यापक रही. निफ्टी 50 इंडेक्स में शामिल 50 शेयरों में से 43 ने सप्ताह के दौरान मजबूती दर्ज की. निफ्टी 50 की कंपनियों में डिविस लैबोरेटरीज (Divi's Lab) के शेयर सबसे ज्यादा 13.3 फीसदी के फायदे में रहे. इसके बाद 5.7 फीसदी की तेजी के साथ आईटीसी का स्थान रहा. अडानी पोर्ट्स ने 5.6 फीसदी की छलांग लगाई, जबकि सन फार्मा में 4.8 फीसदी और टेक महिंद्रा में 4 फीसदी की तेजी आई. विप्रो, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस और इंफोसिस जैसे शेयर भी 3-3 फीसदी से ज्यादा की तेजी में रहे.
जारी होंगे जीडीपी के आंकड़े
अब बात आने वाले सप्ताह की. नया सप्ताह आर्थिक आंकड़ों के लिहाज से काफी अहम साबित होने वाला है. चूंकि सप्ताह के दौरान महीना बदल रहा है, हमें वाहन बिक्री (Auto Sale Data) के आंकड़े देखने को मिलेंगे. सभी वाहन कंपनियां अपनी-अपनी बिक्री के आंकड़े जारी करेंगी, जिससे अर्थव्यवस्था में मांग की स्थिति का पता चलेगा. वहीं सप्ताह के दौरान ही 31 मई को जीडीपी के आंकड़े (GDP Data) भी आने वाले हैं. शेयर बाजार की चाल पर इन आंकड़ों का सीधा असर होगा.
ये आंकड़े भी डालेंगे असर
इनके अलावा सर्विस (Service PMI) और मैन्यूफैक्चरिंग (Manufacturing PMI) सेक्टर के पीएमआई आंकड़े भी जारी होंगे. बाजार की चाल को ये भी प्रभावित कर सकते हैं. सप्ताह के दौरान निवेशकों की निगाहें इंस्टीट्यूशनल इनफ्लो पर भी टिकी रहेंगी, क्योंकि माना जाता है जब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक यानी एफपीआई (FPI) और घरेलू संस्थागत निवेशक यानी डीआईआई (DII) दोनों शुद्ध लिवाल हो जाते हैं, तो बाजार में कुछ मुनाफावसूली की संभावना बन जाती है. एफपीआई और डीआईआई दोनों लगातार बाजार में शुद्ध लिवाल बने हुए हैं.
इन ग्लोबल फैक्टर्स पर निगाहें
वैश्विक संकेतों की बात करें तो मंदी बाजार को कुछ डरा सकता है. यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी (Germany Recession) आधिकारिक तौर पर मंदी का शिकार बन चुका है. अमेरिका में महंगाई (US Inflation) के आंकड़े एक बार फिर से बढ़ने लग गए हैं. वहीं अमेरिका के सामने डिफॉल्ट (US Debt Default) का खतरा मंडरा रहा है, जिसे टालने के लिए गहन चर्चा चल रही है. समय रहते डील हो पाती है या दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था इतिहास में पहली बार डिफॉल्ट करती है, दुनिया भर के बाजारों पर इसका असर दिखेगा.
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