नई दिल्ली:  स्टॉक मार्केट रेगुलेटर सेबी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और 12 दूसरी कंपनियों पर शेयरों में एफएंडओ (डेरिवेटिव) कारोबार करने पर 1 साल की रोक लगा दी है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इसके साथ ही मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज को करीब 1000 करोड़ रुपये का पेनल्टी पेमेंट करने का भी आदेश दिया है. ये बैन कथित तौर पर धोखाधड़ीपूर्ण कारोबार करने के 10 साल पुराने एक मामले में लगाया गया है.

क्या हैं आरोप? सेबी ने रिलायंस पेट्रोलियम के शेयरों में इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोपों के आधार पर ये बैन लगाया है. सेबी ने आदेश में कहा कि आरपीएल के शेयरों में कैश मार्केट में पहले भारी बिक्री से मांग बढ़ाई गई और बाद में एफएंडओ मार्केट में हेजिंग के जरिए उन शेयरों को खरीद लिया गया. इससे आम निवेशकों को सीधा नुकसान हुआ और कंपनी के कुछ लोगों ने गलत तरीके से पैसा बनाया.

रिलायंस इंडस्ट्रीज आगे क्या करेगी? हालांकि, रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रवक्ता ने कहा है कि वह सेबी के इस आदेश को चुनौती देंगे. कंपनी ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि सेबी ने बिना पूरे तथ्यों की जांच किए हुए कंपनी के ऊपर गलत प्रतिबंध लगा दिए हैं. कंपनी अपनी कानूनी सलाहकारों से सलाह कर रही है और इन बैन के खिलाफ सिक्योरिटीज अपैलेट ट्रिब्यूनल (सैट) में अपील की जाएगी. कंपनी को अपने ट्रांजेक्शन्स और उनके कानूनी तौर पर सही साबित होने पर पूरा भरोसा है. रिलायंस पेट्रोलियम के जिन शेयरों के ट्रांजेक्शन पर सवाल उठाए गए हैं वो पूरी तरह कंपनी और शेयरधारकों के हित में रहे थे.

 

रिलायंस इंडस्ट्रीज को सेबी ने इस मामले में 447 करोड़ रुपये की मूल राशि और उस पर 29 नवंबर 2007 से अब तक 12 फीसदी की दर से ब्याज का भुगतान करने को कहा गया है. इस हिसाब से कंपनी को कुल करीब 1000 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा. यह मामला रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की सब्सिडियरी कंपनी रिलायंस पेट्रोलियम से जुड़ा है. रिलायंस पेट्रोलियम अब अस्तित्व में नहीं है. मामला रिलायंस पेट्रोलियम के शेयरों में वायदा एवं विकल्प (एफएण्डओ) सेगमेंट में कथित तौर पर धोखाधड़ीपूर्ण कारोबार करने से जुड़ा है.

सेबी के पूर्णकालिक सदस्य जी. महालिंगम द्वारा जारी 54 पन्ने के आदेश में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और 12 दूसरी यूनिट्स को डायरेक्ट और इनडायरेक्ट तरीके से शेयर बाजारों में एक साल तक फ्यूचर एंड ऑप्शन कारोबार करने से रोक लगा दी गई है.

सेबी ने रिलायंस के अलावा जिन 12 अन्य कंपनियों को एक साल के लिये डेरिवेटिव कारोबार करने से रोका है उनमें गुजरात पेटकोक एण्ड पेट्रो प्राडक्ट्स सप्पलाई, आर्थिक कमर्शियल, एलपीजी इंफ्रास्ट्रक्चर इंडिया, रेलपोल प्लास्टिक प्राडक्ट्स, फाइन टेक कमर्शियल, पाइपलाइन इंफ्रास्ट्रक्चर इंडिया, मोटेक साफ्टवेयर, दर्शन सिक्युरिटीज, रिलाजिस्टिक्स (इंडिया), रिलाजिस्टिक्स राजस्थान, विनामारा यूनिवर्सल ट्रेडर्स और धरती इन्वेस्टमेंट एण्ड होल्डिंग्स. रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को ब्याज सहित पूरी राशि 45 दिन के भीतर लौटाने को कहा गया है.

जी महालिंगम् ने कहा कि जो भी निर्देश दिया गया है वह बाजार में धोखाधड़ी के दायरे में ध्यान में रखते हुये दिया गया है. रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इससे पहले इस मामले को निपटाने का सेबी से आग्रह किया था लेकिन सेबी ने इससे इनकार कर दिया था. ध्यान रहे कि पहले अलग कंपनी रही रिलायंस पेट्रोलियम को बाद में रिलायंस इंडस्ट्रीज में मिला दिया गया था.