Rupee vs Dollar: भारतीय रुपये में हाल के दिनों में लगातार कमजोरी देखने को मिल रही है और इसका सीधा असर विदेशी पूंजी के प्रवाह और घरेलू शेयर बाजारों के रुख से जुड़ा हुआ दिखाई दे रहा है. मंगलवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पांच पैसे टूटकर 89.73 के स्तर पर पहुंच गया, जबकि इससे पहले यह 89.67 पर खुला था.

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क्यों टूट रहा रुपया?

विदेशी मुद्रा बाजार के जानकारों का कहना है कि एक तरफ जहां विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार बिकवाली से बाजार पर दबाव बना हुआ है, वहीं दूसरी ओर घरेलू शेयर बाजारों में सुस्ती भी रुपये की मजबूती में बाधा बन रही है. हालांकि, डॉलर इंडेक्स में कमजोरी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने रुपये को निचले स्तर पर कुछ हद तक सहारा जरूर दिया है.

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सोमवार को भी रुपया शुरुआती बढ़त को बरकरार नहीं रख सका और मामूली गिरावट के साथ 89.68 प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जहां शेयर बाजार में तेजी से मिलने वाला समर्थन कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के कारण कमजोर पड़ गया. इस दौरान छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.20 प्रतिशत गिरकर 98.08 पर आ गया, लेकिन इसके बावजूद घरेलू बाजारों की कमजोरी रुपये पर हावी रही.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

शेयर बाजार की बात करें तो सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 116.57 अंक गिरकर 85,450.91 पर और निफ्टी 27.15 अंक फिसलकर 26,145.25 पर पहुंच गया. वहीं, ब्रेंट क्रूड भी 0.12 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 61.99 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार करता दिखा. बाजार के आंकड़ों से यह भी सामने आया कि विदेशी संस्थागत निवेशक सोमवार को शुद्ध रूप से 457.34 करोड़ रुपये के शेयर बेचकर बिकवाल बने रहे, जिससे रुपये पर दबाव और बढ़ गया.

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में कमजोर डॉलर और घरेलू बाजारों में संभावित मजबूती से रुपये को कुछ राहत मिल सकती है, लेकिन भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में देरी और वैश्विक अनिश्चितताओं के चलते ऊपरी स्तरों पर दबाव बना रह सकता है. विश्लेषकों के अनुसार, फिलहाल डॉलर-रुपया का हाजिर भाव 89.20 से 89.80 के दायरे में बना रह सकता है और निवेशकों की नजर अमेरिकी जीडीपी समेत अन्य अहम वैश्विक आर्थिक आंकड़ों पर टिकी रहेगी.

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