नई दिल्लीः जीएसटी को लेकर उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है और इसको लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं कि इसका स्वरूप कैसा होगा और टैक्स की दरें कैसी होंगी? क्या व्यापारियों के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी और आम आदमी को क्या असली फायदे होंगे? एबीपी न्यूज के बिजनेस एडिटर शिशिर सिन्हा ने इन्हीं सब मुद्दों पर राजस्व सचिव हसमुख अधिया से जानकारी ली.
सवाल: नीति आयोग की बैठक में पीएम मोदी ने अपील की है कि वो जल्द से जल्द एसजीएसटी का कानून पास करें लेकिन राज्यों से जीएसटी के पास होने को लेकर क्या प्रोग्रेस हैं? कब तक सभी राज्यों से जीएसटी की पूरी विधायी प्रक्रिया पूरी हो जाने की उम्मीद कर सकते हैं?
हसमुख अधियाः तेलंगाना ने एसजीएसटी पास कर दिया है और बिहार, राजस्थान में एसजीएसटी पास होने वाला है. वहीं 11 राज्यों में विधनसभा के विशेष सत्र की तारीख आ गई है जिसमें जीएसटी के कानून पारित होंगे. इसके अलावा 15 मई तक बाकी राज्यों में और 31 मई तक सारे राज्यों में जीएसटी से जुड़े कानूनों को पास कर दिया जाएगा.
सवाल: 1 जुलाई तक जीएसटी लागू करने क्या मुश्किल लग रहा है और क्या जीएसटी लागू करने की तारीख 16 सितंबर तक बढ़ाई जा सकती है? उद्योग संगठन बार-बार इसकी तारीख बढ़ाने की संभावना जता रहा है तो क्या ये सच है?
हसमुख अधियाः सरकार शुरुआत से बता चुकी है कि 1 जुलाई से जीएसटी आएगा. जीएसटी को समझने और लागू करने के लिए इंडस्ट्री और बिजनेस को पर्याप्त समय दिया गया है. कानून और नियम बनाने के बाद भी 3 महीने का पूरा समय दिया गया है तो इसे 1 जुलाई को ही लागू किया जाएगा, 1 सितंबर तक तारीख बढ़ाने की नौबत नहीं आएगी. 1 सितंबर तक जीएसटी को लागू करने की तारीख बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
सवाल: जीएसटी आने के बाद चीजों के दाम बढ़ेंगे, ऐसी आशंका जताई जा रही है? क्या वाकई ऐसा होने वाला है?
हसमुख अधियाः चीजों के दाम बढ़ने की संभावना तब होती है कि अगर दाम तय करते वक्त जीवनआवश्यक और जीवनरक्षक चीजों पर टैक्स ज्यादा लगाया जाए या इनकी कीमतों में अंतर हो. सरकार ने सीपीआई बास्केट में 300 जीवनआवश्यक और जीवनउपयोगी चीजों की लिस्ट के आधार पर इनके दाम तय करने पर खास ध्यान दिया है कि इनके दाम घटे, बढ़ें नहीं. दूसरी संभावना ये हो सकती है कि व्यापारी जीएसटी आने का हवाला देकर अपनी तरफ से दाम बढ़ा दें. इसके निवारण के लिए सरकार जीएसटी में एक एंटी प्रॉफिटेरिंग सेक्शन भी लाएगी. हालांकि इसके इस्तेमाल की जरूरत नहीं पड़ेगी ऐसा भरोसा है. लेकिन अगर व्यापारियों की तरफ से गलत दाम वसूले जाएंगे तो सरकार इस सेक्शन का इस्तेमाल करेगी.
सवाल: श्रीनगर में 18-19 मई को होने वाली बैठक में जीएसटी के रेट को लेकर सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है. एक ग्रुप में एक तरह के सामान के लिए अलग-अलग दरें होने की खबरों से थोड़ा कंफ्यूजन है. क्या एक ग्रुप के एक तरह के सामान के लिए एक जैसी टैक्स की दरें होंगी?
हसमुख अधियाः सरकार की कोशिश रहेगी कि एक ग्रुप में एक तरह का ही टैक्स लगे और इसके लिए एसएचएन कोड का इस्तेमाल करेगी जिसमें 87 चैप्टर हैं. हरेक चैप्टर में एक किसी खास समूह की कमोडिटी होती है. तो सरकार की कोशिश रहेगी कि इसके तहत हर तरह की कमोडिटी के लिए एक जैसा टैक्स तय किया जाए. कुछ चीजों एक ग्रुप में होने के बावजूद अलग-अलग सेगमेंट में आएंगी जैसे कारों में जनरल और हाई एंड कारों पर अलग-अलग टैक्स लगेगा. कारों का लग्जरी सेगमेंट की उन कारों पर जीएसटी के अलावा सेस भी लगेगा.
सवाल: सामान-गुड्स कैरी करने वाले व्यापारियों को ईवे बिल से परेशानी होने वाली है ऐसी बात चल रही है, क्या ये सही है?
हसमुख अधियाः व्यापारियों को ई बिल के नियम से परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि 50 हजार से ज्यादा के गुड्स ट्रांसपोर्ट करने पर आपको एसएमएस से यूनिक नंबर मिल जाएगा. व्यापारी फोन में इस यूनिक नंबर को रखें और सामान ले जाने वाले ड्राइवर को दें. किसी तरह का कागज लेकर चलने की जरूरत नहीं है तो ये तो और आसान ही हो जाएगा. जीएसटी पोर्टल पर व्यापारी सूचना दे जितना सामान ले जा रहा है और उसका यूनिक नंबर हासिल कर ले और इसे प्रयोग करे.
सवाल: जीएसटी आने के बाद सर्विस टैक्स को लेकर भी कंफ्यूजन है? इसे कैसे तय किया जाएगा?
हसमुख अधियाः सर्विस टैक्स की 2 दरों की बात की जाए तो 12 और 18 फीसदी की दर तय की जाएगी. सारी सर्विस 18 फीसदी के स्लैब में नहीं जाएंगी. जीएसटी काउंसिल अलग-अलग सर्विसेज के आधार पर टैक्स स्लैब तय करेगी. रेस्त्रां के सर्विस, अलग गुड्स के सर्विस के स्लैब तय कर दिए जाएंगे और सारे कंफ्यूजन दूर हो जाएंगे.
सवाल: जीएसटी आने के बाद छोटे व्यापारियों के लिए क्या दिक्कतें बढ़ने वाली नहीं हैं? इसके लिए सरकार के पास क्या योजना है?
हसमुख अधियाः जीएसटी आने के बाद छोटे व्यापारियों के लिए दिक्कतें बढ़ने वाली नहीं हैं. जैसे पहले 10 लाख से ऊपर टर्नओवर करने वालों को वैट भरना होता था तो सरकार ने पहले ही उनके लिए 20 लाख की लिमिट कर दी है. वहीं जिन 11 राज्यों में 10 लाख रुपये के टर्नओवर वाले कारोबारियों पर वैट लगाने का ऐलान किया गया है. इसमें भी पहले सीमा 5 लाख रुपये थी जिसे बढ़ाकर 10 लाख रुपये किया गया है. इससे कई लाख छोटे कारोबारी तो वैट के दायरे से बाहर हो ही जाएंगे.
सवाल: क्या जीएसटी आने के बाद स्टार्टअप्स के लिए टैक्स फाइलिंग ज्यादा मुश्किल नहीं हो जाएगी?
हसमुख अधियाः 20 लाख से 50 लाख रुपये तक वाले बिजनेस वालों को भी टर्नओवर लिमिट देनी है और हर 3 महीने में एक बार टर्नओवर लिमिट की जानकारी देकर आसानी से टैक्स दे पाएंगे.