नई दिल्लीः खुदरा महंगाई दर करीब पांच सालों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गयी है. इससे रिजर्व बैंक पर नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट घटाने का दवाब बढ़ गया है. इस दर में आखिरी बार कटौती बीते साल अक्टूबर में की गयी थी.


दूसरी ओर औद्योगिक उत्पादन की बात करे तो इसमें बढ़ोतरी की दर अप्रैल के महीने में 3.1 फीसदी रही. जबकि मार्च के महीने मे ये दर 3.75 फीसदी थी. ध्यान रहे कि औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े दो महीने के अंतर पर जारी किए जाते हैं जबकि खुदरा महंगाई दर के अगले ही महीने. इन दोनों ही आंकड़ों का नीतिगत ब्याज दर की दशा-दिशा तय करने में अहम भूमिका होती है.


खुदरा महंगाई दर
सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, मई के महीने मे 2.18 फीसदी रही जबकि अप्रैल के महीने में ये 2.99 फीसदी थी. सबसे ज्यादा गिरावट खाद्य पदार्थों में देखने को मिली, इसीलिए खाद्य पदार्थों की खुदरा महंगाई दर निगेटिव हो गयी है. मई के महीने में ये (-)1.05 फीसदी रही जबकि अप्रैल के महीने मे ये 0.61 फीसदी थी. आइए नजर डालते हैं खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों की खास बातों पर




  • दाल की खुदरा महंगाई दर एक बार फिर घटी. मई के महीने में इसमें 19.45 फीसदी की गिरावट हुई

  • सब्जियों की खुदरा महंगाई दर में 13.44 फीसदी की कमी हुई

  • लेकिन चीनी के मामले में महंगाई बढने की सिलसिला जारी है. यहां खुदरा महंगी दर करीब 10 फीसदी बढ़ी.

  • राज्यवार स्तर की बात करें तो सबसे ज्यादा खुदरा महंगाई दर जम्मू व कश्मीर में ये 6.28 फीसदी दर्ज की गयी. 5.11 फीसदी के साध दिल्ली दूसरे और 4.71 फीसदी के साथ हिमाचल प्रदेश तीसरे स्थान पर रहा.

  • वहीं खुदरा महंगाई दर के मामले में छत्तीसगढ़ आखिरी पायदान पर रहा जहां ये दर (-)0.83 फीसदी दर्ज की गयी जबकि उत्तर प्रदेश में ये दर 1.10 फीसदी रही.


खुदरा महंगाई दर रिजर्व बैंक और सरकार की आपसी सहमति के साथ तय की गयी दर के निचले स्तर के करीब पहुंच गयी है. इस दर को 2 से 6 फीसदी के बीच रखने की बात कही गयी थी. यही वजह है केद्रीय बैंक पर नीतिगत ब्याज दर घटाने का दवाब बढ गया है. रिजर्व बैंक गवर्नर की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति ने पिछले ही हफ्ते नीतिगत ब्याज दर को मौजूदा सवा छह फीसदी पर बनाए रखने का फैसला किया था और वो भी तब खुद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि ब्याज दर में कमी का ये सही समय है.


औद्योगिक उत्पादन दर
अप्रैल के महीने में भले ही पूरे औद्योगिक उत्पादन की दर बढ़ी हो, लेकिन खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के उत्पादन की बढ़ोतरी दर निगेटिव रही. मसलन, खाद्य उत्पादों की बढ़ोतरी दर (-)4.4 और पेय पदार्थों की (-19.2) फीसदी रही.


औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों की खास बातें कुछ इस तरह रही:




  • खनन में 4.2 फीसदी और मैन्युफैक्चरिंग में 2.6 फीसदी की बढ़त दर्ज की गयी. मैन्युफैक्चरिंग का बढ़ना एक अच्छी खबर है, क्योंकि इससे रोजगार के ज्यादा से ज्यादा मौके बनते हैं.

  • वैसे बुरी खबर ये है कि भारी मशीनो के उत्पादन की दर निगेटिव, (-)1.3 फीसदी रही. इसका मतलब ये है कि कंपनियां या तो नया प्रोजेक्ट नहीं लगा रही, या फिर पुराने काम का विस्तार नहीं कर रही.

  • टीवी, फ्रिज औऱ कार जैसे कंज्यूमर ड्युरेबल्स के उत्पादन की दर (-) 6 फीसदी रही. ये चौंकाने वाला नहीं था, क्योंकि आम तौर पर अप्रैल के महीने में इन सामान की ज्यादा खरीदारी नही होती.