नई दिल्ली: रिटेल इन्फ्लेशन यानी खुदरा महंगाई दर वो दर है जो आपको सीधे तौर पर प्रभावित करती है. 157 देश खुदरा महंगाई दर के आधार पर ही अपनी नीतियां तय करते हैं. यही खुदरा महंगाई दर भारत में साढ़े पांच साल में सबसे ज्यादा बढ़ गई है. यानी पिछले एक महीने में महंगाई जबरस्त बढ़ी है. ये आंकड़े आज सरकार ने ही जारी किए हैं.

खुदरा महंगाई दर साढ़े पांच साल में सबसे ज्यादा हो गई. एक महीने में 5.54 प्रतिशत से बढ़कर 7.35 प्रतिशत हुई. मतलब खाने पीने की चीजों की कीमते बढ़ीं. सबसे ज्यादा सब्जियां महंगी हुईं. सब्जियों की महंगाई दर नवंबर में 26 फीसदी थी. दिसंबर में 61 फीसदी हुई. खाने पीने के दूसरे सामानों की कीमत 14.12 प्रतिशत बढ़ी हैं. खुदरा महंगाई दर बढ़ने के बाद अब आरबीआई रेपो रेट कम नहीं करेगा. यानी आपकी ईएमआई कम होने की उम्मीद नहीं है.

सांख्यिकी मंत्रालय ने जो आंकड़ा जारी किया है उसके मुताबिक दिसंबर में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 7.35 फीसदी हो गई. जबकि नवंबर में खुदरा महंगाई दर 5.54 फीसदी थी. सब्जियों खासकर प्याज की कीमत चढ़ने से दिसंबर में खुदरा महंगाई दर ज्यादा प्रभावित हुई है.

आपके जीवन पर क्या असर पड़ेगा?

नवंबर में सब्जी की कीमत की महंगाई दर 36 फीसदी थी. दिसंबर में सब्जियों की कीमतों में महंगाई दर 60.5 फीसदी है. सब्जियां हर घर में बनती है. यानी हर घर की थाली और बजट पर इसका असर पड़ रहा है. एक आदमी जो नवंबर में सब्जी खरीदने पर दो हजार रुपये खर्च करता है, उतनी ही सब्जी के लिए उसे दिसंबर 3320 रुपये खर्च करना पड़ा. यानी एक आदमी की जेब पर 1320 रुपये का बोझ बढ़ गया. इसके अलावा किचन में इस्तेमाल होने वाले दूसरे सामान जैसे दाल, चावल, चीनी, मसाला, दूध, मीट, मछली, तेल और घी सब महंगा हो चुका है.

खाद्य महंगाई दर बढ़कर 14.12 फीसदी हो गई. नवंबर में खाद्य महंगाई दर 10.01 फीसदी थी. सरकार महंगाई को भले ही झूठलाती रही लेकिन इन आंकड़ों के सामने आने के बाद एक बार फिर विपक्ष सरकार को घेरने के लिए तैयार है. विपक्ष, सरकार पर बड़ा आरोप लगा रही है. क्योंकि पिछले छह महीने से खुदरा महंगाई दर में लगातार इजाफा हो रहा है.

6 महीने में खुदरा महंगाई दर

जुलाई में 3.15% अगस्त में 3.28% सितंबर में 3.99% अक्टूबर में 4.62% नवंबर में 5.54% दिसंबर में 7.35%

एक साल में खुदरा महंगाई दर करीब साढ़े तीन गुना बढ़ गई. खुदरा महंगाई दर बढ़ने से लोन की ईएमआई में कमी होने के आसार अब कम हैं. क्योंकि आरबीआई मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरें तय करते वक्त खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है. आरबीआई का लक्ष्य होता है कि खुदरा महंगाई दर चार से छह के बीच रहे लेकिन जुलाई 2016 के बाद ये पहली बार छह फीसदी के पार पहुंच चुका है.

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