कोरोना महामारी के बीच शेयर मार्केट में जबरदस्त उछाल को लेकर आरबीआई ने चेताया है. उसका कहना है कि भारतीय शेयर बाजार में जो उछाल दिख रही है, उसमें जोखिम है. आरबीआई ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि घरेलू शेयर बाजार में जो बुलबुला दिख रहा है वह एक जोखिम भरा बुलबुला है. आरबीआई का कहना है कि यह तेजी इसलिए सही नहीं है कि मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी में आठ फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया गया है. 


इकोनॉमी में गिरावट लेकिन शेयर बाजार में तेजी क्यों? 


केंद्रीय बैंक ने कहा कि घरेलू इक्विटी बाजारों में 2020-21 में जीडीपी में अनुमानित 8 फीसदी की गिरावट के बावजूद तेजी एक बबल (बुलबुले) का खतरा खड़ा करती है. 2020-21 के लिए अपनी सालाना रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा है कि भारत की इक्विटी की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है. बेंचमार्क इंडैक्स सेंसेक्स 21 जनवरी 2021 को 50,000 के आंकड़े को पार कर गया और उसने 15 फरवरी को 52,154 की ऊंचाई छू ली थी. 


शेयर मार्केट में बुलबुले का खतरा 


यह राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन (23 मार्च 2020) की शुरुआत से पहले की गिरावट से 100.7 फीसदी की बढ़ोतरी और 2020-21 के मुकाबले 68 फीसदी का इजाफा है. आरबीआई ने कहा कि 2020-21 में जीडीपी में अनुमानित 8 फीसदी की गिरावट की पृष्ठभूमि में एसेट प्राइस महंगाई का यह सिलसिला बुलबुले का जोखिम खड़ा करता है. इसमें इस बात का भी जिक्र किया गया है कि वास्तविक आर्थिक गतिविधियों में रिकवरी के मुकाबले एसेट कीमतों में बढ़ता अंतर वैश्विक पॉलिसी चिंता के तौर पर उभरा है. आरबीआई ने कहा कि शेयर बाजार पैसों की सप्लाई और फॉरेन पॉलिसी इन्वेस्टर (FPI) निवेशों के दम पर चलता है. 


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