Indian Rupee In International Trade: भारतीय रुपये का दबदबा अब अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भी बढ़ता नजर आएगा. आरबीआई ने तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद इसकी दिशा में कदम उठाने की जानकारी दी. इसका उद्देश्य विदेशी मुद्राओं पर निर्भरता कम करना है. इसके तहत अधिकृत बैंकों को भूटान, नेपाल और श्रीलंका के प्रवासी नागरिकों को द्विपक्षीय व्यापार के लिए भारतीय रुपये में लोन देने की अनुमति दी गई है.
भारतीय करेंसी का दबदबा
इंटरनेशनल ट्रेड में भारतीय करेंसी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि भारत के प्रमुख व्यापारिक भागीदारों की मुद्राओं के लिए पारदर्शी संदर्भ दरें स्थापित की जाएंगी. साथ ही, कॉरपोरेट बॉन्ड और वाणिज्यिक पत्रों में भारतीय रुपये में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष रुपया वॉस्ट्रो खाता (SRVA) के व्यापक उपयोग की अनुमति दी गई है.
विदेशी करेंसी पर कम होगी निर्भरता
SRVA एक विदेशी बैंक द्वारा भारतीय बैंक के साथ खोला गया खाता है, जो सीधे भारतीय रुपये (INR) में अंतरराष्ट्रीय व्यापार निपटान की सुविधा देता है. यह अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने में मदद करेगा और अर्थव्यवस्था को विनिमय दर में उतार-चढ़ाव और मुद्रा संकट से बचाएगा. इस तरह के कदम विदेशी मुद्रा पर निर्भरता घटाकर चालू खाता घाटे को नियंत्रित रखने में सहायक होंगे. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भारत का बाह्य क्षेत्र मजबूत है और केंद्रीय बैंक रुपये की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रहा है तथा जरूरत पड़ने पर उचित कदम उठाने के लिए तैयार है.
आरबाआई की मौद्रिक नीति सीमित की तीन दिवसीय बैठक में एक तरफ जहां रेपो रेट में लगातार दूसरी बार किसी तरह का बदलाव करने का फैसला किया गया तो वहीं दूसरी तरफ अपने पूर्वानुमान में केन्द्रीय बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने देश की जीडीपी 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है. इसके साथ ही, मुद्रास्फीति की दरें भी 2.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है. इसके दूसरी तिमाही में 1.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 1.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है. 2026-27 की पहली तिमाही में यह 4.5 प्रतिशत अनुमानित है.