RBI MPC: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रिजर्व बैंक ने जीडीपी के अनुमान को घटा दिया है और ये चौंकाने वाला कदम है. देश की आर्थिक विकास दर को लेकर किया गया ये बदलाव सरकार के लिए भी चिंता की वजह बन सकता है. रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक के अलावा जियो पॉलिटिक्स में देखी जा रही चुनौतियां सभी देशों के सामने एक बड़ा मुद्दा बनी हुई हैं. इसके अलावा महंगाई के ताजा आंकड़ें और दूसरी तिमाही में जीडीपी रेट कम रहना भी चिंता की वजह हैं.

आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी का अनुमान घटाया

आरबीआई ने जिस बड़े फैसले का ऐलान किया उसमें देश की आर्थिक विकास दर का (GDP) अनुमान घटाने की घोषणा अहम है. आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी के अनुमान को घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया है जो पहले 7.2 परसेंट पर था. ध्यान रहे कि अक्टूबर की क्रेडिट पॉलिसी में रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी का अनुमान 7.2 फीसदी पर कर दिया है. 

वित्त वर्ष 2024-25 की बची हुई तिमाहियों में कैसी रहेगी जीडीपी

इस साल की बची हुए तिमाही में जीडीपी का आंकड़ा देखें तो वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में जीडीपी ग्रोथ 6.8 फीसदी पर रहने का अनुमान दिया है. इसके बाद चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में जीडीपी दर 7.2 फीसदी पर रहने का अनुमान है.

वित्त वर्ष 2025-26 की पहली-दूसरी तिमाही का ग्रोथ अनुमान

वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में आरबीआई का ग्रोथ अनुमान 6.9 फीसदी पर आया है और इसके साथ ही अगले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 7.3 फीसदी पर रहने का अनुमान आरबीआई ने इस क्रेडिट पॉलिसी में दिया है.

रिजर्व बैंक ने रेपो रेट रखा 6.5 फीसदी पर बरकरार

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बुधवार को शुरू हुई तीन दिवसीय बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी. एमपीसी ने रेपो दर को समान स्तर यानी 6.5 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला लिया है. एमपीसी के छह में से चार सदस्यों ने नीतिगत दर को स्थिर रखने के लिए वोट दिया जबकि दो इसमें बदलाव किए जाने के पक्ष में थे.

ये भी पढ़ें

RBI MPC: किसानों को मिलेगा ज्यादा लोन, 2 लाख रुपये तक के कर्ज के लिए नहीं रखना होगा कुछ गिरवी