Reserve Bank Of India: भारतीय रिजर्व बैंक एक बार फिर लोगों को राहत दे सकता है. जून में मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक के दौरान आरबीआई रेपो रेट (RBI Repo Rate) में बढ़ोतरी को रोक कर होल्ड पर रख सकता है. भारत के रेपो रेट तय करने वाले पैनल के सदस्यों का कहना है कि महंगाई से निपटने के लिए पिछले मई से हुई बढ़ोतरी पर्याप्त है. ऐसे में अभी केंद्रीय बैंक अपनी दरों में कोई बदलाव नहीं करते हुए स्थिर रख सकता है. 


हालांकि जून में होने वाले द्विमासिक समीक्षा के तहत रेपो रेट नहीं बढ़े इसके लिए दो मुख्य बातों को लेकर अलर्ट भी किया है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पैनल का कहा है कि अगर अधूरे मानसून से फार्म-गेट की कीमतों में महंगाई बढ़ती है और कच्चे तेल में तेजी आती है तो रेपो रेट में एक बार फिर इजाफा देखने को ​मिल सकता है. यानी कि ऐसा कहा जा सकता है कि रेपो रेट स्थिर रहने में मानसून और कच्चा तेल एक अहम रोल में हैं. 


महंगाई कंट्रोल रहने की उम्मीद 


भारतीय रिजर्व बैंक आरबीआई के छह सदस्यीय एमपीसी का मानना है कि कम मानसून के संभावित नकारात्मक प्रभाव को देखते हुए महंगाई की गति अनिश्चित हैं. फिर भी उम्मीद जताई जा रही है कि अगर अगली फसल का उत्पादन कम नहीं होता है या ​खाद्य पदार्थों की कीमत में बढ़ोतरी नहीं होती है महंगाई कंट्रोल में रहेगी.


'निविदा लागत का दबाव कम'


गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी बैठक में कहा कि एक साल पहले वैश्विक कमोडिटी की कीमतों में नरमी उनके चरम स्तर से विनिर्मित वस्तुओं और सेवाओं के लिए कम इनपुट लागत दबाव में तब्दील हो रही है." ये महंगाई को कंट्रोल करने के लिए काफी है. बता दें कि ​आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास ने 6 अप्रैल को एमपीसी बैठक के दौरान रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करके सभी को हैरान कर दिया था. जबकि बड़े—बड़े एक्सपर्टस ने बढ़ोतरी की आशंका जताई थी. हालांकि अभी कुछ लोगों का मानना है कि ये दर फिर कभी बढ़ सकती है. 


2.5 फीसदी की बढ़ोतरी 


पिछले साल मई से ही आरबीआई एमपीसी की 8वीं बैठक हो चुकी है, जिसमें 6 बार रेपो रेट में इजाफा किया गया है. मई से लेकर अभी तक रेपो रेट में 2.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. यानी कि आपके लोन के ब्याज में कम से कम 2.5 फीसदी ब्याज बढ़ा है. ये बढ़ोतरी महंगाई दर को कंट्रोल करने के लिए किया गया है. 


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