नई दिल्लीः बैंकों में ऐसे घोटालों को रोकने का दारोमदार आरबीआई ने बैंकों के ऊपर डाल दिया है.क्या पीएनबी जैसे बैंक घोटालों पर अंकुश लगाने में देश का केंद्रीय बैंक रिज़र्व बैंक लाचार है ? वित्त मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति को दिए गए रिजर्व बैंक के लिखित जवाब से तो कम से कम यही लगता है. मंगलवार को हुई समिति की बैठक में बुलाए गए आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने सदस्यों द्वारा पूछे गए सवालों का लिखित जवाब पेश किया.


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पीएनबी घोटाले को लेकर एक सवाल पूछा गया था कि ऐसा कैसे हो गया कि बिना किसी गारण्टी के नीरव मोदी को साल दर साल लेटर ऑफ अंडरस्टैंडिंग ( LoU) जारी किया गया और किसी ने उसका संज्ञान नहीं लिया. अपने लिखित जवाब में आरबीआई गवर्नर ने चौंकाने वाला जवाब दिया है. बैंक ने कहा है कि बैंक के पास जो बैंकों के संचालक की भूमिका है उसमें बैंकों का ऑडिट शामिल नहीं है.


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बैंक का कहना है कि देश भर में सभी बैंकों की 1,16,000 से ज़्यादा शाखाएं हैं लिहाज़ा सभी शाखाओं पर नज़र रखना आरबीआई के लिए लगभग असंभव है. जवाब में कहा गया है कि रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को निर्देश जारी कर कहा है कि वो अपने यहां ऑडिट व्यवस्था को मजबूत और चुस्त दुरुस्त करें.


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मंगलवार को हुई समिति की बैठक में एक बार फिर सभी सदस्यों ने बैठक में मौजूद उर्जित पटेल से पीएनबी घोटाले और नीरव मोदी को लेकर कई सवाल पूछे. कुछ सदस्यों ने ये भी जानना चाहा कि क्या ऐसे मामलों को रोकने में आरबीआई के पास पर्याप्त शक्तियां हैं या नहीं. 19 जून को एक बार फिर समिति की बैठक होगी जिसमें आरबीआई के अधिकारी भी शामिल होंगे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली समिति के अध्यक्ष हैं. मंगलवार की बैठक में अन्य सदस्यों के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल हुए.


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