Ratan Tata Will: देश के जाने-माने दिवंगत उद्योगपति रतन टाटा की वसीयत का खुलासा हो गया है. इसके मुताबिक, उन्होंने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा दान में दे दिया है. लगभग 3,800 करोड़ रुपये की उनकी जायदाद में टाटा संस के शेयर व अन्य कई संपत्तियां भी शामिल हैं.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने अपनी 3800 करोड़ रुपये की संपत्ति का ज्यादातर हिस्सा 'रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन' और 'रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट' को दे दिया, जो समाज सेवा से जुड़े कार्यों में लगी हुई हैं. बता दें कि टाटा संस में रतन टाटा की 70 परसेंट हिस्सेदारी रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन (RTEF) और बाकी की 30 परसेंट हिस्सेदारी रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट (RTET) को दी गई है.
परिवार और दोस्तों का भी रखा ख्याल
हालांकि, वसीयत बनाते वक्त उन्होंने परिवार, करीबी दोस्तों और पालतू जानवरों का भी ख्याल रखा. उनकी कुछ अन्य संपत्तियों में बैंक एफडी, घड़ियां, पेंटिंग्स जैसी चीजें शामिल हैं, जिनकी कीमत लगभग 800 करोड़ रुपये है. इसका एक तिहाई हिस्सा उन्होंने अपनी दो सौतेली बहनों- शिरीन जेजेभोय और डीना जेजेभोय को दिया है.
बाकी का एक तिहाई हिस्सा मोहिनी एम दत्ता को मिला है, जो टाटा ग्रुप की पूर्व कर्मचारी रह चुकी है. वह रतन टाटा की करीबी भी मानी जाती थीं. उनकी वसीयत में नो-कॉन्टेस्ट क्लॉज भी शामिल है, जिसके तहत वसीयत को चुनौती देने वाला व्यक्ति वसीयत में उसे दी गई सभी संपत्ति और अधिकार को खो देगा.
रतन टाटा के भाई 82 साल के जिमी नवल को जुहू वाले बंगले का एक हिस्सा मिलेगा. उन्होंने अपने करीबी दोस्त मेहली मिस्त्री को अलीबाग के बंगले के साथ-साथ तीन बंदूकें भी दी हैं. इसमें से एक .25 बोर की पिस्तौल भी है, जो उन्हें बहुत पसंद थी.
पालतू जानवरों का भी रखा ख्याल
रतन टाटा ने पालतू जानवरों के लिए भी 12 लाख रुपये का फंड रखा है, जिसके तहत हर एक जानवर को हर तीन महीने में 30,000 रुपये मिलेंगे, जिससे उनके रख-रखाव का खर्च उठाया जाएगा. इसी के साथ रतन टाटा के मैनेजर और पर्सनल असिस्टेंट रहे शांतनु नायकुडू और पड़ोसी जेक मालाइट के एजुकेशन लोन को भी माफ कर दिया गया है.
कब होगा संपत्ति का बंटवारा?
वसीयत को लागू करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में अर्जी दी गई है. इस पर कोर्ट की मुहर लगने के बाद संपत्ति का बंटवारा कर दिया जाएगा. इसमें करीब-करीब 6 महीने तक का समय लग सकता है. 23 फरवरी, 2022 में बनाई गई वसीयत में चार कोडिसिल (codicils) हैं, जिसका मतलब है कि वसीयत बन जाने के बाद उसमें छोटे-मोटे बदलाव करना. आखिरी बार किए गए बदलाव में कुछ कंपनियों में रतन टाटा के खरीदे गए शेयरों का जिक्र है. इसके अलावा, कुछ ऐसी भी संपत्ति है, जिसके बारे में वसीयत में कोई जिक्र नहीं किया गया है. ये सब रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन और रतन टाटा एंडोमेंट ट्रस्ट को बराबर में बांट दिया जाएगा.
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