India-Russia Relationship: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर में अपने भारत दौरे को लेकर काफी रोमांचित हैं. गुरुवार शाम को रूस के दक्षिणी शहर सोची में आयोजित वल्दाई डिस्कशन क्लब में बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका के लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ का मुकाबला करने और इससे हुए नुकसान की भरपाई करने में सक्षम है.
पुतिन ने इस दौरान पीएम मोदी की भी तारीफ की. उन्होंने पीएम मोदी को एक बुद्धिमान नेता बताया, जो सबसे पहले अपने देश के बारे में सोचते हैं. वल्दाई डिस्कशन क्लब के मंच पर दुनिया के बड़े-बड़े मुद्दों पर बातें होती हैं. इसमें शामिल होने वाले नेता खुलकर अपनी बात रखते हैं.
रूस और भारत का रिश्ता खास- पुतिन
मंच पर पुतिन ने आगे कहा कि पुतिन ने बताया कि रूस और भारत के बीच कभी कोई समस्या या तनाव नहीं रहा है. रूस और भारत का रिश्ता बेहद खास है. पुतिन ने यह भी दिलाया रूस (पहले सोवियत यूनियन) भारत की आजादी के संघर्ष के समय से ही उसका भरोसेमंद साथी रहा है. उन्होंने कहा कि लगभग 15 साल पहले हमने एक विशेष रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की थी, जिसे भारत के लोगों ने अब तक नहीं भूला है. सोची के ब्लैक सी रिसॉर्ट के वल्दाई फोरम में भारत सहित 140 देशों सुरक्षा और भू-राजनीतिक विशेषज्ञ शामिल हुए.
ट्रंप के टैरिफ को लेकर कही ये बात
इवेंट में पुतिन ने रूस से तेल की खरीद को रोकने के लिए अमेरिकी दबाव को नजरअंदाज करने के भारत के फैसले को सराहा. उन्होंने कहा कि इस फैसले से भारत को न सिर्फ आर्थिक रूप से फायदा हुआ है, बल्कि एक संप्रभु और स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में भी उसकी छवि मजबूत हुई है. बतौर पुतिन अमेरिकी टैरिफ से हुए नुकसान की भरपाई भारत ने रूस से कच्चे तेल के आयात के जरिए कर ली है.
उन्होंने कहा कि बेशक अमेरिकी टैरिफ भारत के लिए नुकसानदेय होता, लेकिन रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदकर भारत ने इसे बैलेंस कर लिया है. पुतिन ने इस दौरान माना कि रूस और भारत के बीच कारोबार में भुगतान और लॉजिस्टिक्स जैसी कई चुनौतियां हैं, लेकिन इन समस्याओं को सुलझाकर दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्ते को और मजबूत बनाया जा सकता है. रूस अब भारत से ज्यादा मात्रा में अनाज, फल, सब्जियां और दवाइयां खरीदना चाहता है.
रूस और भारत के बीच चुनौतियां
बता दें कि यूक्रेन में रूसी हमले के कारण पश्चिमी देशों के लगाए गए प्रतिबंधों के चलते रूस और भारत के बीच कारोबार मुश्किल होता जा रहा है. प्रतिबंध के चलते भारत डॉलर में भुगतान नहीं कर पाता है. यानी कि भारतीय निर्यातकों को रूस रुपये में पेमेंट करता है. उसी तरह से रूसी आयातकों को रूबल में पेमेंट किया जाता है. ऐसे में रूस ने भारतीय बैंकों में अरबों रुपये जमा कर लिए हैं, जिनका वह इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है. इन्हें रूबल में बदलने में भी कठिनाई होती है. इससे कारोबार में रूकावट आती है. इसके अलावा, रूस और भारत के बीच काफी दूरी है, जिससे सामानों की ढुलाई पर अधिक कॉस्ट आता है.
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