IndusInd Bank Q4 Results: दो दशक में ऐसा पहली बार है जब इंडसइंड बैंक को तिमाही रुप घाटे में आया हो. बैंक ने इसके लिए कर्मचारियों की तरफ से किए गए फर्जीवाड़े को इसके लिए जिम्मेदार फैक्टर बताया है. बैंक ने पोस्ट करते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2025 के अंतिम तिमाही यानी जनवरी से मार्च के बीच 2,236 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है जबकि सालभर पहले इसी दौरान कंपनी को 2,347 करोड़ का मुनाफा हुआ था.
18 साल में पहली बार घाटा
पिछले कुछ महीने से लगातार बैंक में फर्जीवाड़े की खबरें आंतरिक ऑडिट में सामने आ रही थी. इंडसइंड बैंक की तरफ से बुधवार को जारी बयान में कहा गया है कि बोर्ड को शक है कि जो स्टाफ एकाउंटिंग और वित्तीय मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे, उनकी इस मामले में बड़ी संदिग्ध भूमिका है. इंडसइंड बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के चेयरमैन सुनील मेहता का कहना है कि बोर्ड और मैनेजमेंट ये मानते हैं कि चूकें हुईं. उन्होंने कहा कि ये हमारे जैसे संस्थान के लिए दुर्भाग्यपूर्ण रही हैं. हालांकि, बोर्ड और प्रबंधन ने सभी पहचानी गई समस्याओं को समयबद्ध और व्यापक तरीके से सुलझाने के लिए एक मजबूत संकल्प दिखाया है.
पहला मामला बैंक के आंतरिक डेरिवेटिव ट्रेडों के गलत लेखांकन से जुड़ा है, जिससे बैंक को वित्तीय वर्ष 31 मार्च को समाप्त होने तक करीब 1,966 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ. ये खुलासा मार्च में हुआ था. इसके अलावा, इस महीने की शुरुआत में माइक्रोफाइनेंस पोर्टफोलियो के आंतरिक ऑडिट में ये पाया गया कि करीब 684 करोड़ रुपये की राशि को 3 तिमाहियों में गलत तरीके से ब्याज आय के रूप में दर्ज किया गया था. बैंक ने कहा कि इस पूरी राशि को जनवरी में रिवर्स (वापस) कर दिया गया था.
बैंक कर्मचारियों की अहम भूमिका
इन दोनों घटनाओं के बाद बैंक के शीर्ष नेतृत्व में सफाई शुरू हुई है. सीईओ सुमंत कथपालिया और डिप्टी सीईओ अरुण खुराना ने पिछले महीने इस्तीफा दे दिया, क्योंकि आंतरिक नियंत्रण और गवर्नेंस पर बढ़ते सवाल उठ रहे थे. बैंक ने कहा है कि Q4 (चौथी तिमाही) के नतीजों में अब तक जांच के ज़रिए सामने आई सभी विसंगतियों का प्रभाव परिलक्षित होता है. नियामकीय निगरानी और सख्त होने की संभावना के बीच, इंडसइंड बैंक पर अब निवेशकों का विश्वास बहाल करने और पारदर्शिता साबित करने का दबाव है.
इंडसइंड बैंक ने कहा कि बैंक ने मार्च तिमाही और समूचे वित्त वर्ष के वित्त परिणामों को अंतिम रूप देते समय ऑडिट रिपोर्ट में चिह्नित सभी विसंगतियों के प्रभाव को उचित रूप से दर्ज करने के साथ दर्शाया है. मार्च में बैंक ने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में लेखांकन खामियों की सूचना दी थी, जिसका दिसंबर, 2024 तक बैंक की शुद्ध संपत्ति पर लगभग 2.35 प्रतिशत का प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का अनुमान है.
इसके बाद, बैंक ने बही-खाते पर प्रभाव, विभिन्न स्तरों पर खामियों का आकलन करने और सुधारात्मक कार्रवाई का सुझाव देने के लिए बाहरी एजेंसी पीडब्ल्यूसी को नियुक्त किया था. एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में 30 जून, 2024 तक नकारात्मक प्रभाव 1,979 करोड़ रुपये आंका है. मामला गहराने के बाद बैंक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सुमंत कठपालिया और डिप्टी सीईओ अरुण खुराना ने 29 अप्रैल को इस्तीफा दे दिया था.