Retirement Savings Scheme: रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी अगर आरामदायक और सिक्योर चाहिए, तो फाइनेंशियल प्लानिंग भी उसी हिसाब से करनी होगी. हमारे देश में रिटायरमेंट सेविंग स्कीम के तीन बेहद पॉपुलर ऑप्शंस हैं- पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), कर्मचारी भविष्य निधि (EPF), और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS). इनमें से हर स्कीम्स के फीचर्स यूनिक हैं. अगर आपको भी इनमें से किसी एक को चुनने में मुश्किलें आ रही हैं, तो आपका काम हम आसान कर देते हैं. आइए इस खबर के जरिए आपको बताते हैं ये तीन एक-दूसरे से किस तरह से अलग हैं ताकि अपने मुताबिक सही प्लान को चुनने में आपको परेशानी न हो.
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ)
PPF एक सरकारी स्कीम है, जो लॉन्ग टर्म में बचत की अनुमति देती है. इसमें आप हर साल न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये का निवेश कर सकते हैं. इसे उन लोगों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है, जो टैक्स बेनिफिट के साथ रिस्क फ्री इंवेस्टमेंट ऑप्शन की तलाश है.
इसकी खासियत
पीपीएफ में मैच्योरिटी पीरियड 15 साल है. इसे 5-5 साल के ब्लॉक में आगे बढ़ाया जा सकता है.
पीपीएफ खाते पर सरकार सालाना 7.1 परसेंट की दर से इंटरेस्ट देती है. पीपीएफ पर ब्याज दर हर तिमाही सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है.
भारत सरकार द्वारा समर्थित होने की वजह से यह रिस्क फ्री है.
पीपीएफ पर धारा 80सी के तहत सालाना 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट मिलती है.
इंटरेस्ट की रकम पर कोई टैक्स नहीं लगता. नुकसान
पीपीएफ 15-साल के लॉक इन पीरियड के साथ आता है. 15 साल की लॉक-इन अवधि पूरी होने के बाद आप अकाउंट बंद कर पीपीएफ खाते से पूरा पैसा निकाल सकते हैं.
इस पर रिटर्न महंगाई के मुकाबले बहुत ज्यादा आगे नहीं बढ़ता.
कर्मचारी भविष्य निधि (EPF)
EPF 20 या उससे ज्यादा की संख्या में किसी कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए एक अनिवार्य बचत योजना है. इसका मकसद रिटायरमेंट के बाद वेतनभोगी कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है.
इसकी खासियत
EPF में कंपनी और कर्मचारी दोनों की तरफ से बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 12 परसेंट कंट्रीब्यूशन किया जाता है.
चालू वित्त वर्ष के लिए कर्मचारी भविष्य निधि पर ब्याज दर 8.25 परसेंट है.
इस पर जोखिम कम और रिटर्न गारंटीड है.
EPF में पर निवेश करने पर धारा 80c के तहत 1.5 लाख रुपये तक टैक्स छूट मिलती है.
PF अकाउंट में हर साल 2.5 लाख रुपये का कंट्रीब्यूशन टैक्स फ्री है.
रिटायरमेंट के बाद मिलने वाला फंड पूरी तरह से टैक्स फ्री है.
PPF के मुकाबले ब्याज दर अधिक है.
एम्प्लॉयर के कंट्रीब्यूशन के हिसाब से सेविंग्स भी बढ़ती जाती है.
जरूरत पड़ने पर आप जमा धनराशि की आंशिक निकासी भी कर सकते हैं.
नुकसान
2.5 लाख रुपये से अधिक के कंट्रीब्यूशन पर टैक्स लगता है.
यह केवल वेतनभोगी व्यक्तियों तक सीमित है.
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)
NPS भारत सरकार द्वारा शुरू की गयी एक रिटायरमेंट सेविंग स्कीम है. इसमें आप अपनी पसंद के हिसाब से इक्विटी, कॉर्पोरेट डेट, सरकारी बॉन्ड में निवेश का ऑप्शन चुन सकते हैं. इस पर रिटर्न निश्चित नहीं होता क्योंकि यह बाजार से जुड़ा हुआ होता है.
खासियत
इसमें कंट्रीब्यूशन का कोई अपर लिमिट नहीं होता है.
इस पर आमतौर पर 8-10 परसेंट का रिटर्न मिलता है.
मार्केट लिंक्ड स्कीम होने के चलते रिटर्न भले ही फंड मैनेजर की परफॉर्मेंस के आधार पर मिले, लेकिन इसमें आप अपनी रिस्क लेने की क्षमता के हिसाब से इंवेस्टमेंट का ऑप्शन चुन सकते हैं. आप वक्त के हिसाब से इंवेस्टमेंट में बदलाव कर सकते हैं.
सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट की सुविधा मिलती है. धारा 80ccd(1b) के तहत सब्सक्राइबर्स अतिरिक्त 50,000 रुपये की कटौती का लाभ उठा सकते हैं.
एनपीएस कॉर्पस का 60 परसेंट टैक्स-फ्री निकाला जा सकता है, जबकि बाकी 40 परसेंट का इस्तेमाल एन्युटी खरीदने के लिए किया जाता है.
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