Power Tariff Hike: घरेलू कोयले की किल्लत के कारण बिजली संकट गहराने की बढ़ती आशंका के बीच बिजली मंत्रालय ने उच्च कीमत वाले आयातित कोयले का भार उपभोक्ताओं पर ही डालने की राय का समर्थन किया है. इसका एक मतलब ये निकलता है कि आने वाले समय में बिजली और महंगी होने की आशंका है. देश में पिछले कुछ समय से कोयले की कमी देखी जा रही है.
केंद्रीय बिजली सचिव ने कही ये बातकेंद्रीय बिजली सचिव आलोक कुमार ने कहा कि दिसंबर 2022 तक कुछ कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों के लिए आयातित कोयले पर आने वाली उच्च लागत का भार उपभोक्ताओं पर डालने देने पर सहमति बनी है. उन्होंने कहा कि अगर आयातित कोयले पर आधारित बिजली संयंत्र पूरी क्षमता से नहीं चलेंगे, तो बिजली की बढ़ती मांग के कारण घरेलू कोयला आधारित इकाइयों पर दबाव पड़ेगा.
बिजली की उपलब्धता बढ़ने की उम्मीदइस कदम से बिजली की उपलब्धता बढ़ाने में मदद मिलेगी क्योंकि अडानी समूह, टाटा पावर और एस्सार जैसी आयातित कोयला आधारित इकाइयां बिजली पैदा करने और राज्य वितरण कंपनियों को बेचने में सक्षम होंगी.
ऊर्जा मंत्री ने ली थी बैठक इस महीने की शुरुआत में बिजली मंत्री आर के सिंह की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में एस्सार के 1,200 मेगावाट के सलाया संयंत्र और मुंद्रा में अडाणी के 1,980 मेगावाट संयंत्र जैसी इकाइयों को शामिल करते हुए आयातित कोयले की ऊंची लागत को उपभोक्ताओं पर ही डालने को लेकर सहमति बनी थी.
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