Mutual Fund: महंगाई दर (Inflation) को मात देने के लिए शेयर बाजार (Share Market) में निवेश अच्छे विकल्पों में से एक है. लेकिन अगर आप इक्विटी में सीधे निवेश (Investment) का जोखिम नहीं उठा सकते हैं, तो आप म्यूचुअल फंड या पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस का विकल्प चुन सकते हैं.
यहां निवेश से सीधे इक्विटी में निवेश करने का जोखिम भी नहीं होता है और फायदा भी मोटा होता है. आइए आपको बताते हैं कि म्यूचुअल फंड और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस में से क्या बेहतर होता है.
जो लोग शेयर मार्केट में खुद ट्रेडिंग (Treading) नहीं करना चाहते हैं, वह म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के जरिये सिस्टमैटिक तरीके या एकमुश्त मार्केट में निवेश कर सकते हैं. म्यूचुअल फंड में कई सारे निवेशक अपना वित्तीय लक्ष्य हासिल करने के लिए किसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी की स्कीम में निवेश करते हैं. म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए आप किसी वित्तीय सलाहकार की मदद ले सकते हैं या फिर खुद से भी फंड खरीद सकते हैं.
50 लाख रुपये का निवेश जरूरी
पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस या कहें पीएमएस एक व्यक्तिगत निवेश पोर्टफोलियो होता है, इससमें बड़े निवेशक निवेश करते हैं. यहां व्यक्ति के लक्ष्य के हिसाब से निवेश पोर्टफोलियो तैयार किया जाता है. जबकि म्युचुअल फंड में पहले से तय कंपनियों में निवेस किया जाता है.
यहां निवेश करने के लिए आपके पास कम से कम 50 लाख रुपये होने चाहिए. इसमें प्रोफेशनल मनी मैनेजर आपके लक्ष्य के हिसाब से पोर्टफोलियो बनाते हैं. आपको बता दें कि पीएमएस में निवेश करने के लिए बैंक अकाउंट और डीमैट खाता खुलवाना जरूरी होता है.
3 तरह के पीएमएस
डिस्क्रीशनरी, नॉन-डिस्क्रीशनरी, एडवाइजरी कुल मिलाकर तीन तरह की पीएमएस होती है. पीएमएस फंड को मैनेज करने के लिए आपको अपने फंड मैनेजर को पावर ऑफ अटार्नी देना होगा. इसमें आपके फंड मैनेजर को निश्चित रकम के अलावा रिटर्न पर आधारित कमीशन भी मिलता है. पीएमएस उन निवेशकों के लिए अच्छा है, जिनके पास निवेश के लिए रकम तो हो, लेकिन उन्हें मैनेज करने के लिए समय कम है.
मोटे रिटर्न पर ही फायदा
विशेषज्ञों का मानना है कि एक निवेशक को लंबी अवधि में म्यूचुअल फंड की तुलना में पीएमएस से 2 से 2.5 फीसदी अधिक रिटर्न की उम्मीद करनी चाहिए. ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर पंकज मठपाल की माने तो म्यूचुअल फंड में फंड मैनेजर एक निवेशक से योजना के व्यय अनुपात में 0.5 फीसदी से लगभग 2.5 फीसदी तक चार्ज वसूलते हैं. पीएमएस के मामले में, लेनदेन मूल्य का करीब 2 से 2.5 फीसदी चार्ज लिया जाता है, जो स्टॉक की खरीद और बिक्री यानि निवेशक के मुनाफे या घाटे के बावजूद दोनों पर लागू होता है.
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