ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां पिछले कई महीनों से चर्चा में हैं. उन्हें जीएसटी बकाए को लेकर लगातार नोटिस मिल रही हैं. ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को पिछले वित्त वर्ष से अब तक इस बारे में 70 से ज्यादा कारण बताओ नोटिस भेजे गए हैं.


इतने बकाए के लिए नोटिस


केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मंगलवार को इस बारे में राज्य सभा में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2022-23 और इस वित्त वर्ष में अक्टूबर तक ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को 71 कारण बताओ नोटिस भेजे गए हैं. उन्होंने एक सवाल का लिखित जवाब देते हुए बताया कि ये नोटिस जीएसटी के बकाए को लेकर हैं. नोटिस के हिसाब से ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों पर जीएसटी का बकाया 112 हजार करोड़ रुपये है.


सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है मामला


इससे पहले कई खबरों में दावा किया गया था कि करीब 1 ट्रिलियन रुपये के बकाये को लेकर जीएसटी अथॉरिटीज ने कई ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों और कसिनो को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. हालांकि अभी इस बकाये को लेकर रिकवरी किस तरह से होगी, ये तय नहीं हो सका है. मामले पर अभी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है.


सभी नोटिस फिलहाल पेंडिंग


केद्रीय मंत्री ने भी अपने जवाब में यही जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि ये सभी नोटिस पेंडिंग हैं. सेंट्रल जीएसटी एक्ट के प्रावधानों के तहत जीएसटी की संबंधित मांग को अभी तय नहीं किया जा सका है.


मार्च 2024 के अंत में समीक्षा


सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचने से पहले कर्नाटक हाई कोर्ट ने गेमिंग कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया था. कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट रोक लगा चुका है. सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को सबसे अधिक टैक्स वाले ब्रैकेट में डाला है. सबसे ऊंची स्लैब वाली टैक्स दरें 1 अक्टूबर से प्रभावी हो गई हैं. जीएसटी काउंसिल मार्च 2024 के अंत में इसकी समीक्षा करने वाली है.


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