Natural Gas Reserves in India: अमेरिकी टैरिफ, H-1B की बढ़ाई गई फीस और व्यापार वार्ता को लेकर जारी अनिश्चितताओं के बीच भारत के लिए एक 'गुड न्यूज' है. दरअसल, अंडमान सागर में नैचुरल गैस का बड़ा भंडार हाथ लगा है. यह खोज किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है. इससे भारत एनर्जी सेक्टर में भारत और मजबूत व आत्मनिर्भर बनेगा.शुक्रवार को पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इसका ऐलान किया. इस दौरान उन्होंने इसे 'ऊर्जा के अवसरों' का सागर बताया. उन्होंने कहा, प्राकृतिक गैस की यह खोज अमृत काल के हमारे इस सफर में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी. 

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कहां मिला नैचुरल गैस का भंडार? 

नैचुरल गैस का यह रिजर्व  के विजयपुर के 2 कुएं में पाया गया, जो अंडमान तट से लगभग 17 किलोमीटर दूर 295 मीटर की गहराई पर स्थित है. इसकी लक्षित गहराई (Target Depth) 2650 मीटर रखी गई थी. यानी कि कुएं को पानी की सतह से लेकर समुद्र के नीचे जमीन में कुल 2650 मीटर की गहराई तक खोदा गया था. पहले 295 मीटर की गहराई तक खोदे जाने पर नैचुरल गैस रिजर्व का जैकपॉट हाथ लगा. इसके बाद लगभग 2355 मीटर की गहराई तक और ड्रिल किया गया.

पुरी ने कहा, "कुएं के 2212 से 2250 मीटर की गहराई तक किए गए शुरुआती उत्पादन परीक्षण  (Initial Production Testing) से नैचुरल गैस के होने का पता चला. इसमें समय-समय पर फ्लेयरींग होते भी भी देखी गई. गैस के नमूने जहाज से काकीनाडा लाए गए,  उनकी टेस्टिंग की गई और पाया गया कि उनमें 87 परसेंट मीथेन है." आने वाले महीनों में गैस पुल की साइज और कमर्शियली यह कितना मददगार साबित होगा इसका पता लगाया जाएगा. इस खोज से प्राकृतिक गैस के आयात पर भारत की निर्भरता कम होगी, जो पिछले कुछ सालों से लगातार बढ़ रही है. कारोबारी साल 2023-24 में भारत की प्राकृतिक गैस की लगभग 44 परसेंट खपत आयात के जरिए पूरी की गई.

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मीथेन के फायदे

  • मीथेन कोयले और तेल मुकाबले अधिक स्वच्छ है क्योंकि इससे कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर कम निकलते हैं. अगर भारत बिजली के उत्पादन के लिए कोयले (लगभग 70 परसेंट बिजली का उत्पादन इसी से होता है) की जगह मीथेन का इस्तेमाल करने लगे, तो इससे वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आ सकती है. 
  • मीथेन में प्रति यूनिट ऊर्जा की मात्रा अधिक होती है. यही वजह है कि बिजली के नैचुरल गैस वाले प्लांट कोयले से चलने वाले संयंत्रों के मुकाबले अधिक कुशल होते हैं.
  • बिजली के अलावा, मीथेन का इस्तेमाल खाना पकाने के ईंधन (घरों के लिए सीएनजी पाइपलाइन), इंडस्ट्रियल फीडस्टॉक (उर्वरक, रसायन), ट्रांसपोर्ट फ्यूल (वाहनों के लिए सीएनजी) के रूप में किया जा सकता है, जिससे कच्चे तेल की खपत कम हो सकती है. 
  • मीथेन गैस के प्रोडक्शन, ट्रांसपोर्ट और डिस्ट्रीब्यूशन के इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार करने के जरिए कई लोगों को रोजगार मिलने के आसार है. इससे भारत एनर्जी सेक्टर में और सिक्योर होगा, आयात कम होगा और देश आत्मनिर्भर बनेगा.
  • मीथेन रिन्यूऐबल एनर्जी का भी एक बढ़िया ऑप्शन है. सोलर और विंड एनर्जी की ही तरह यह रिन्यूऐबल एनर्जी को लेकर तय किए गए टारगेट को हासिल करने में देश की मदद कर सकता है. 

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