National Startup Advisory Council: भारत सरकार ने देश में इनोवेशन और स्टार्टअप के विकास के लिए गठित नेशनल स्टार्टअप एडवाइजरी काउंसिल (NSAC) में भारी फेरबदल किया गया है. सरकार ने बायजू रविंद्रन, लिजी चैपमैन और भावीश अग्रवाल को इस बार काउंसिल में शामिल नहीं किया है. उनकी जगह कारदेखो (CarDekho) के फाउंडर अमित जैन और जेरोधा (Zerodha) के नितिन कामत को इस काउंसिल में जगह मिली है. एनएसएसी की आठवीं बैठक 19 दिसंबर को वाणिज्य और उद्योग मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित हो रही है.


दो साल के लिए होता है कार्यकाल


सरकार ने बताया कि काउंसिल में गैर आधिकारिक सदस्यों का कार्यकाल दो साल के लिए होता है. चूंकि, इन लोगों का कार्यकाल पूरा हो चुका था इसलिए नए लोगों को जगह दी गई है. सरकार के मुताबिक, काउंसिल में सफल स्टार्टअप बनाने वाले और कंपनियों को नई ऊंचाई पर पहुंचाने वाले लोगों को जगह मिलती है. 


ये सभी नहीं बना पाए दोबारा जगह 


रविंद्रन ने एडटेक कंपनी बायजूस, चैपमैन ने जेस्टमनी और भावीश अग्रवाल ने ओला को फर्श से अर्श पर पहुंचाया था. मगर, पिछले कुछ समय से तीनों ही अलग-अलग कारणों के चलते चर्चा में हैं. इसके अलावा रिविगो के दीपक गर्ग, जोहो के श्रीधर वेम्बू, इंफोसिस के क्रिस गोपालकृष्णन, आरियन कैपिटल्स के मोहनदास पई और कलारी कैपिटल्स की वाणी कोला भी इस लिस्ट में फिर से जगह नहीं बना पाई हैं.  


ये होंगे काउंसिल के नए मेंबर 


इस बार सरकार ने मशहूर वकील निशिथ देसाई, अमित जैन, इनवेस्ट इंडिया की निवृति राय और नितिन कामत काउंसिल के नए मेंबर होंगे. अरबन कंपनी से अभिराज सिंह भल, स्नैपडील के कुणाल बहल, आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर अमिताभ बंधोपाध्याय, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर योगेश सिंह और सीआईआई जैसे उद्योग मंडल के अध्यक्ष सहित 31 गैर-आधिकारिक सदस्य शामिल हैं.


बायजू और जेस्ट मनी बंद होने की कगार पर 


हालांकि, सरकार ने इसे सामान्य प्रक्रिया बताया है. मगर, बायजू रविंद्रन कानूनी और वित्तीय मुसीबतों में फंसे हुए हैं. उन पर 1.2 बिलियन डॉलर का कर्ज है. साथ ही वह 9300 करोड़ रुपये के फेमा उल्लंघन में भी फंसे हुए हैं. कंपनी पिछले महीने का वेतन बांटने में भी असफल रही थी रविंद्रन को अपने घर गिरवी रखने पड़े थे. उधर, जेस्ट मनी बायर तलाशने में असफल रही और 31 जनवरी को बंद हो जाएगी. 


जनवरी 2020 में बनी थी काउंसिल 


नेशनल स्टार्टअप एडवाइजरी काउंसिल का गठन जनवरी, 2020 में किया गया था. इसे स्टार्टअप प्रकिया को आसान बनाने, निवेश की संभावनाएं तलाशने और फाउंडर्स के पास स्टार्टअप का कंट्रोल सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया था.  यह काउंसिल शहरों से लेकर गांवों तक में इनोवेशन को प्रमोट करने के लिए जरूरी कदम उठाती है.


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