Infosys Founder: दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस (Infosys) के फाउंडर नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) ने कहा है कि वह एक अच्छे इंसान की तरह नहीं बल्कि निष्पक्ष व्यक्ति के तौर यादों में रहना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि कंपनी का नेतृत्व संभालने के दौरान मैंने सीखा कि कभी-कभी हमें कठिन निर्णय लेने पड़ते हैं. हालांकि, हमें हमेशा हर निर्णय को पारदर्शी रखने की कोशिश करनी चाहिए. 


1981 में 6 लोगों के साथ मिलकर बनाई इंफोसिस 


नारायण मूर्ति ने इकोनॉमिक टाइम्स को दिए इंटरव्यू के दौरान बताया कि साल 1981 में हमने पुणे में इंफोसिस की स्थापना की. उस समय हम 6 लोगों ने मिलकर इस कंपनी की नींव डाली. इस टीम में इंफोसिस के वर्तमान चेयरमैन नंदन नीलेकणि (Nandan Nilekani) और 2007 से 2011 तक सीईओ रहे क्रिस गोपालकृष्णन (Kris Gopalakrishnan) भी शामिल थे. आज यह सभी लोग कारोबार जगत के बड़े नाम बने हुए हैं. 


अच्छे नहीं निष्पक्ष आदमी के तौर पर याद करें लोग


उन्होंने कहा कि मैं पहले भी कह चुका हूं कि एक निष्पक्ष व्यक्ति के तौर पर याद किया जाना मुझे पसंद है. मैं नहीं चाहता कि लोग मुझे अच्छे आदमी के बजाय निष्पक्ष व्यक्ति के तौर पर याद करें. हमने इंफोसिस को चलाने के दौरान ऊंचे मानदंड तय किए थे. यही वजह है कि इसे देश की पहली प्रोफेशनल मैनेजमेंट वाली कंपनी माना जाता है. कंपनी जिस समय तरक्की कर रही थी, उस दौरान देश में ज्यादातर बिजनेस परिवारों द्वारा ही चलाए जा रहे थे. साल 1994 में नारायण मूर्ति ने इंफोसिस में ओपन इवैल्यूएशन सिस्टम शुरू किया था. इसके बाद टीम मेंबर भी अपने इवैल्यूएटर के काम की समीक्षा कर पाते थे. 


मंदी में अपने वेतन काटकर युवाओं को दी नौकरी 


साल 2001 में आर्थिक मंदी के चलते जब अन्य कंपनियां हायरिंग को टाल रही थीं तब भी इंफोसिस ने युवाओं को दिए जॉब ऑफर्स को टाला नहीं था. नारायण मूर्ति ने कहा कि उस दौरान हम सभी लोग बैठे और तय हुआ कि यह इन युवाओं की गलती नहीं है. आखिर वो क्यों घर बैठें. हमने तय किया कि बड़े पदों पर काम कर रहे लोग अपनी वेतन में कटौती करेंगे. मगर, इन सभी को नौकरी पर बुलाया जाएगा. इसके चलते हम इंडस्ट्री में एक अच्छी एवं निष्पक्ष कंपनी होने का दर्जा बरकरार रख पाए.


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