Mutual Funds: हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को कारोबार के दौरान कोहांस लाइफसाइंसेज (Cohance Lifesciences) के शेयरों का बुरा हाल रहा. शेयरों की बिकवाली इतनी ज्यादा बढ़ गई कि यह 2.2 परसेंट गिरकर 615 रुपये प्रति शेयर पर आ गया. यह जून 2024 के बाद का सबसे निचला स्तर है. लगातार 12वें कारोबारी सत्र से स्टॉक में गिरावट जारी है. इस दौरान कुल मिलाकर 28.40 परसेंट की गिरावट दर्ज की गई है. 

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गिरावट का यह सिलसिला अक्टूबर के अंत में शुरू हुआ, जब कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और डायरेक्टर वी. प्रसाद राजू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इससे सितंबर तिमाही में कंपनी के कमजोर प्रदर्शन के बाद शेयर और भी ज्यादा गिरने लगे. हालांकि, इस तेज गिरावट के बावजूद शेयर ने पिछले तीन सालों में 40 परसेंट और पिछले पांच सालों में 90 परसेंट की बढ़त हासिल की है. मई 2024 और अक्टूबर 2024 के बीच सिर्फ पांच महीनों में यह 112 परसेंट तक उछल गया. 

म्यूचुअल फंड्स ने गंवाए 1500 करोड़ से भी ज्यादा

शेयर बाजार में लगातार गिरावट के चलते घरेलू म्यूचुअल फंड्स को भी भारी नुकसान हुआ. सितंबर तिमाही के अंत में 30 म्यूचुअल फंड्स के पास सामूहिक रूप से 16.49 परसेंट की हिस्सेदारी थी, जो जून तिमाही में उनके पास मौजूद 8.90 परसेंट की हिस्सेदारी से लगभग दोगुनी थी. शेयर की कीमत में 28.4 परसेंट की गिरावट से फंड हाउसों को लगभग 1545.7 करोड़ का नुकसान हुआ है.

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कंपनी में हिस्सेदारी रखने वाले कुछ प्रमुख फंड्स में डीएसपी मल्टीकैप फंड है, जिसकी कोहांस में 3.99 परसेंट हिस्सेदारी है; एचडीएफसी लार्ज एंड मिड-कैप फंड, जिसकी 2.64 परसेंट की हिस्सेदारी है और इन्वेस्को इंडिया कॉन्ट्रा फंड और एसबीआई एमएनसी फंड, जिनके पास क्रमशः 1.39 परसेंट और 1.32 परसेंट की हिस्सेदारी है.

कंपनी के दूसरी तिमाही के नतीजे

कारोबारी साल 2025-26 की तिमाही में कंपनी का कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट 52 परसेंट कम होकर 66.39 करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले साल की समान अवधि में कंपनी ने 138 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था. इस दौरान कंपनी का ऑपरेश्नल रेवेन्यू भी पिछले साल की दूसरी तिमाही के 603.77 करोड़ के मुकाबले कम होकर इस बार 555.57 करोड़ रह गया. EBITDA 2024 की सितंबर तिमाही के 205 करोड़ से 41 परसेंट गिरकर 121 करोड़ रह गया. वहीं, EBITDA मार्जिन 1200 बेसिस पॉइंट कम होकर 22 परसेंट रहा. 

कंपनी का कहना है कि फार्मा डिस्टॉकिंग, बायोटेक फंडिंग में देरी और नाचराम प्लांट के अस्थायी बंद होने जैसी कई चुनौतियों के कारण कंपनी का प्रदर्शन प्रभावित हुआ, जिससे तिमाही के दौरान विकास प्रभावित हुआ है और नतीजे कमजोर आए हैं. 

 

 

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