Mutual Funds: म्यूचुअल फंडों के द्वारा प्रबंधित संपत्ति में भारत के टॉप-10 फंड हाउस का हिस्सा लगातार कम हो रहा है. हिस्सेदारी में कटौती के बाद भी इन म्यूचुअल फंड के पास कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) में एक बड़ा हिस्सा है, मगर पिछले कुछ वक्त में इसमें कमी आई है. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार पिछले छह सालों के आकड़ों से यह जानकारी मिली है. वित्त वर्ष 2023-24 में तीसरी तिमाही में औसत AUM दस बड़े फंड हाउस का 38.80 लाख करोड़ रुपये का था, जो कुल AUM 49.20 लाख करोड़ रुपये का 79 फीसदी हिस्सा है. ऐसे में वित्त वर्ष 2019-20 के बाद से बड़े फंड हाउस की एसेट अंडर मैनेजमेंट में हिस्सेदारी कम हुई है. कुछ साल पहले तक बड़े फंड हाउस छोटे म्यूचुअल फंड कंपनियों में 84 फीसदी तक अपनी हिस्सेदारी होल्ड करते थे, जो पिछले कुछ सालों में लगातार घटी है.


क्यों घट रही हिस्सेदारी?


AUM में बड़े म्यूचुअल फंड हाउस की घटती हिस्सेदारी के पीछे प्रमुख कारण यह है कि देश में म्यूचुअल फंड कंपनियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. इसके साथ ही कुल AUM में डेट फंडों की बढ़ती पार्टनरशिप भी इसके प्रमुख कारणों में से एक है. इस रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि देश में एक्टिव डेट फंड में बड़े फंड हाउस की एक बड़ी हिस्सेदारी है. एक्टिव इक्विटी AUM में बड़ी 10 म्यूचुअल फंड कंपनियों की 70 फीसदी तक हिस्सेदारी है. 


कोरोना महामारी के बाद से देश में एक्टिव इक्विटी स्कीम में डेट फंडों की कुल AUM में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. एक्टिव इक्विटी फंड में इंडस्ट्री की हिस्सेदारी फरवरी 2020 में 28 फीसदी थी, जो अब बढ़कर 41 फीसदी हो गई है. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के अनुसार, एक्टिव डेट फंडों की हिस्सेदारी 45 फीसदी से कम होकर केवल 28 फीसदी रह गई है.


वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में म्यूचुअल फंडों के औसत AUM में 5 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है और यह बढ़कर 49.30 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. ये आंकड़े इसलिए भी खास है क्योंकि लगातार छठी तिमाही में भी औसत AUM में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इस रिपोर्ट से यह भी पता चला है बड़ी संख्या में लोग सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करना पसंद कर रहे हैं.


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