India Per Person Income: मौजूदा वित्त वर्ष में भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है. हालांकि उच्च महंगाई दर और उच्च बेरोजगारी दर के बीच लग्जरी वस्तुओ और आवश्यक चीजों की कीमतों के बीच असमानता देखी जा रही है. भोजन, कपड़े और रहने की मूलभूत आवश्यकताओं की कीमतों में बढ़ोतरी देखी जा रही है.


एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में आय असमानता देखी जा रही है. अभी भी इस देश में 813.5 मिलियन गरीबों को अभी भी फ्री में भोजन की आवश्यकता है. 


भारत दुनिया के असमानता वाले देशों में से एक 


वहीं उच्च महंगाई दर और उच्च बेरोजगारी दर के बीच लक्जरी वस्तुओं और अन्य बुनियादी उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में व्यापक अंतर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. वर्ल्ड इक्वालिटी 2022 के डाटा के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र वैज्ञानिक भा​गीदार के साथ विकास मे था. वहीं बढ़ती गरीबी के साथ भारत दुनिया के सबसे असमान देशों में से एक था. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में शीर्ष 10 फीसदी और 1 फीसदी कुल राष्ट्रीय आय का 57 फीसदी और 22 फीसदी हिस्सा रखते हैं.


रोटी, कपड़ा और मकान के लिए संघर्ष कर रहे भारतीय 


लोगों की मूलभूत आवश्यकता को लेकर ज्यादातर भारतीय संघर्ष कर रहे हैं. ईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी वस्तुओं में बढ़ोतरी के कारण ज्यादातर चीजों के दाम में इजाफा देखा जा रहा है. इस कारण कम आय वाले परिवारों को आवश्यक समानों को खरीदने में भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. पिछले दो महीनों में शहरी बाजारों में 5 रुपये, 10 रुपये और 20 रुपये के छोटे पैक का कुल बिक्री में योगदान लगभग 5 फीसदी बढ़ा है. 


आवश्यक खाद्य पदार्थों के दाम में उछाल 


वहीं पाम तेल, गेहूं, चीनी और कॉफी जैसी चीजों के दाम ज्यादा बढ़ चुके हैं. मार्च के आंकड़ों की बात करें तो अनाज और उत्पादों की महंगाई दर 15.3 फीसदी थी. पिछले महीने दूध की महंगाई दर 9.3% थी. दूध की कीमत में कई बार बढ़ोतरी देखी गई है, जिसका असर देश के ज्यादातर शहरों में देखा जा सकता है. 


कपड़ों के दाम में भी इजाफा 


कपड़ा और जूतों की खुदरा कीमतें साल दर साल 8.2 फीसदी तक बढ़ीं हैं. क्लॉथिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 में भारत के टैक्सटाइल मार्केट में 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इस कारण बिक्री में 3 फीसदी की गिरावट आई है. कंपनियों और अधिकारियों का कहना है कि कपास की कीमत में बड़ी बढ़ोतरी के कारण ऐसा हुआ है. 


आवास की कीमत 


पिछले एक साल में बेंगलुरु में आवासीय किराये में बड़ी बढ़ोतरी देखी गई है, जिस कारण कॉर्पोरेट कर्मचारी सुरक्षित आवास के लिए संघर्ष कर रहे हैं. संपत्ति दलालों का दावा है कि पिछले पांच वर्षों में भारत के सात प्रमुख शहरों में आवास की कीमतों और किराये की पैदावार में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है. 


मार्च के दौरान रियल स्टेट की प्रमुख कंपनी डीएलएफ ने 1,137 लग्जरी अपार्टमेंट बेचे हैं, जिसकी कीमत 7 करोड़ या इससे ज्यादा रही है. इसेन 8000 करोड़ की प्रॉपर्टी तीन दिन में गुरुग्राम में बेची है.  लग्जरी और प्रीमियम फ्लैट की मांग बढ़ने से किराए के दाम में भी इजाफा हुआ है.  


ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि ज्यादातर गरीब परिवार अपनी आवश्यक सुविधाओं को पाने के लिए कठिनाई में हैं. हालांकि लग्जरी सुविधाओं की मांग बढ़ी है, पर इसे मध्यम वर्ग या गरीब वर्ग को पाना आसान नहीं है.  


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