White Paper On Indian Economy: अंतरिम बजट में किए गए एलान के मुताबिक बजट सत्र के खत्म होने के एक दिन पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर श्वेत पत्र पेश कर दिया है. श्वेत पत्र में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 2004 से 2014 के कार्यकाल में आर्थिक विकास के ठप्प पड़ने, भ्रष्टाचार के आरोपों के साथ निवेशकों के भरोसे में कमी को लेकर हमला बोला गया है.
2014 में नाजुक हालत में मिली अर्थव्यवस्था
श्वेत पत्र में सरकार ने बताया है कि कैसे 10 साल पहले 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार सत्ता में आई तो उसे अर्थव्यवस्था बेहद नाजुक हालत में मिली थी. पब्लिक फाइनेंस बुरी अवस्था में था, आर्थिक मैनेजमेंट का बुरा हाल था, वित्तीय अनुशासनहीनता व्याप्त थी साथ ही भ्रष्टाचार का तब बोलबाला था. भारत में निवेश करने वाले निवेशकों का भरोसा डगमगा चुका था. ऐसे में सरकार बनने के बाद मोदी सरकार के सामने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की सबसे बड़ी चुनौती थी. और अगले 10 सालों में 2014 से पहले की अवधि की सभी चुनौतियों पर अपने शानदार इकोनॉमिक मैनेजमेंट और गवर्नेंस के जरिए मोदी सरकार उसपर पार पाने में सफल रही है. सही नीतियों, नीयत और उचित फैसलों के चलते आज की तारीख में भारत उच्च आर्थिक विकास की राह पर चल पड़ा है.
2004 से 2014 रहा नॉन-परफॉर्मिंग
इस श्वेत पत्र में यूपीए सरकार पर हमला बोलते हुए कहा गया कि यूपीए सरकार को 2004 में बेहतर अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी तब आर्थिक सुधार को गति दिए जाने की दरकार थी लेकिन अगला 10 वर्ष नॉन-परफॉर्मिंग रहा है. इस पत्र में कहा गया कि यूपीए नेतृत्व 1991 के आर्थिक सुधारों का क्रेडिट लेने में कभी पीछे नहीं रहता है लेकिन 2004 में सत्ता में आने के बाद उसे छोड़ दिया गया. 2010 से लेकर 2014 तक पांच साल की अवधि में महंगाई दर दहाई अंकों में जा पहुंची थी.
बैंकिंग क्राइसिस यूपीए की देन
श्वेत पत्र में कहा गया कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में बैंकिंग क्राइसिस खड़ा हो गया. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार जब सत्ता से हटी तो ग्रॉस एनपीए 7.8 फीसदी थी दो सितंबर 2013 तक बढ़कर 12.3 फीसदी पर जा पहुंची थी. सरकारी बैंकों से दिए जाने वाले लोन में राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ गया था. रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि खराब पॉलिसी प्लानिंग के चलते कई सामाजिक कल्याण के स्कीमों में आवंटित पैसा खर्च नहीं किया जा सका था. स्वास्थ्य पर खर्च भी यूपीए सरकार के कार्यकाल में बेहद कम था. सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक 1.76 लाख करोड़ का 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला, कोयला घोटाला और कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले से भारत की छवि को धक्का लगा था. 2012 में हुए सबसे बड़ी बिजली कटौती को हमेशा याद किया जाएगा.
2047 तक भारत बनेगा विकसित देश
श्वेत पत्र के मुताबिक पीएम मोदी के नेतृत्व में जब मोदी सरकार ने कार्यभार संभाला तो राजनीतिक और पॉलिसी स्थिरता से लैस हमारी सरकार ने बेहतर आर्थिक बेहतरी के लिए कठिन फैसले लिए. अर्थव्यवस्था में गतिशीलता को बहाल किया. पिछली सरकार द्वारा छोड़कर गए चुनौतियों का सफलतापूर्क सामना किया. श्वेत पत्र में भरोसा दिया गया है अमृतकाल की अभी शुरुआत हुई है और 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का लक्ष्य है.
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