सरकार ने देश में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं (PLI Schemes) की शुरुआत की है. इससे देश को निर्यात के मोर्चे पर सुधार करने में मदद मिली है. इसके बाद भी पीएलआई योजनाओं की सफलत और सार्थकता पर बहस जारी रहती है. हालांकि अब एक ताजा आंकड़ा ऐसा है, जो आलोचकों का मुंह बंद कर सकता है.


पीएलआई के तहत होंगे इतने खर्च


ईटी की एक खबर के अनुसार, मोबाइल फोन पर 6 फीसदी इंक्रीमेंटल जीएसटी (Incremental GST on Mobile Phones) से पिछले तीन साल में 42,897 करोड़ रुपये मिले हैं. यह स्मार्टफोन के विनिर्माण के लिए शुरू की गई पीएलआई योजना के लिए किए गए पूरे प्रावधान से ज्यादा है. केंद्र सरकार ने स्मार्टफोन विनिर्माण की पीएलआई योजना के लिए करीब 39 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया था.


अकेले केंद्र सरकार की कमाई सरप्लस


उद्योग संगठन इंडिया सेल्यूलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) ने वित्त मंत्रालय को भेजे एक पत्र में ये जानकारियां दी है. ईटी की एक खबर में आईसीईए के हवाले से कहा गया है कि अगर जीएसटी से सिर्फ केंद्र सरकार को होने वाली कमाई को तो देखें तो भी 5 साल में इस पीएलआई योजना से सरप्लस मिलने वाला है. 5 साल में इस योजना के तहत सरकार को जितनी कमाई हो जाएगी, वह पूरे पांच साल के लिए योजना पर किए गए खर्च से करीब 11 हजार करोड़ रुपये ज्यादा होगा.


जीएसटी की बढ़ी दर से इतनी कमाई


केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल 2020 को स्मार्टफोन विनिर्माण के लिए पीएलआई योजना की शुरुआत की थी. इसके साथ-साथ केंद्र सरकार ने मोबाइल फोन पर जीएसटी की दर को भी 12 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया था. आईसीईए की मानें तो जीएसटी में जो ये 6 फीसदी की बढ़ोतरी की गई, उससे सरकार को 42,897 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिला है. वहीं इन 3 सालों में मोबाइल फोन जीएसटी से सरकार की पूरी कमाई 1,28,691 करोड़ रुपये रही है.


अब इतना होने वाला है खर्च


सरकार की पीएलआई योजना के तहत 5 साल के लिए कुल प्रावधान अब 38,601 करोड़ रुपये रहने वाला है. पहले इसके तहत कुल खर्च 41 हजार करोड़ रुपये रहने वाला था. आईफोन बनाने वाली कंपनी पेगाट्रॉन ने एक साल देर से शुरुआत की, जिससे पीएलआई के तहत खर्च भी कम हुआ. अभी तक पीएलआई योजना के तहत स्मार्टफोन कंपनियों को 1,644 करोड़ रुपये दिए गए हैं.


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