फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) सेक्टर में रोचक स्थिति बनती जा रही है. देसी कंपनियों ने हिन्दुस्तान यूनिलिवर (Hindustan Uniliver Ltd), आईटीसी (ITC Ltd), नेस्ले (Nestle India Ltd)और ब्रिटानिया (Britannia Industries Ltd) जैसे एमएनसी कंपनियों की नाक में दम कर दिया है. ये बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाती जा रही हैं. कम कीमत में अच्छे प्रोडक्ट बाजार में उतारकर इन देसी कंपनियों ने एफएमसीजी सेक्टर में जंग तेज कर दी है.


महंगाई का बुरा असर पड़ा 


ग्लोबल कंपनियों पर महंगाई का बुरा असर पड़ा है. सितंबर में समाप्त हुई तिमाही में लगभग सभी एमएनसी की ग्रोथ कमजोर ही रही है. महंगाई की मार झेल रहे खरीदारों द्वारा कम खर्च करने को इसकी बड़ी वजह माना जा रहा है. फ़ूड और पर्सनल केयर केटेगरी में देसी कंपनियों ने दखल दिया है. लोकल ब्रांड हर सेगमेंट में अच्छी सफलता हासिल कर रहे हैं.   


तेजी से आगे बढ़ रहे लोकल ब्रांड 


मध्य प्रदेश में स्थित साबुन बनाने वाली कंपनी सरगम ने 35 फीसद और दक्षिण भारत की कंपनी XXX डिटर्जेंट ने 34 फीसद की दर से वृद्धि की. उधर, इस सेगमेंट में वृद्धि दर मात्र एक फीसद रही है. ठीक इसी तरह मसालों के सेगमेंट में भारत मसाला ने 17 और शक्ति मसाला ने 18 फीसद की वृद्धि दर हासिल की, जबकि सेगमेंट की वृद्धि दर सिर्फ 4 फीसद ही रही. प्रिया गोल्ड, जया बिस्किट, बिकानो, बालाजी और येलो डायमंड जैसी नमकीन-बिस्किट बनाने वाली कंपनियों ने भी बाजार पर ऐसी ही छाप छोड़ी है.           


कोविड-19 ने बदल दिया बाजार 


लोकल और रीजनल ब्रांडों को कोविड-19 महामारी के दौरान हुए लॉकडाउन से बहुत फायदा पहुंचा. इन कंपनियों ने लोगों के बीच में अपनी जगह बना ली और अब वो ग्लोबल ब्रांडों से टक्कर लेने लगे हैं. राजकोट स्थित कंपनी बालाजी वेफर्स उत्तर भारत में अपना पहला प्लांट लगाने जा रही है. बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी अब स्वीकारने लगी हैं कि इन देसी कंपनियों ने चाय और साबुन जैसे सेगमेंट में तगड़ी पकड़ बना ली है. ये कंपनियां अच्छी बिक्री कर रही हैं.  


एमएनसी को करनी पड़ी कीमतों में कटौती 


HUL और ब्रिटानिया जैसी कंपनियों को साबुन से लेकर बिस्किट तक की कीमतों में 1.5 फीसद कटौती करनी पड़ी है. इन कंपनियों ने महंगाई के चलते अपने उत्पादों के दाम 22 प्रतिशत तक बढ़ा दिए थे. हालांकि, इन कंपनियों ने आशंका जताई है कि इस कटौती के बावजूद बहुत ज्यादा असर नहीं दिखने वाला. उन्हें लगता है कि खपत बढ़ने के साथ ही वह आगे बढ़ने लगेंगे.


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