MDH Success Story: शायद ही देश का कोई ऐसा घर हो, जो एमडीएच मसाले (MDH Masale) के बारे में जानता न हो. हम सभी सालों से यह लाइन सुनते आ रहे हैं कि ‘असली मसाले सच-सच, एमडीएच एमडीएच’. एमडीएच मसाले फाउंडर महाशय धर्मपाल गुलाटी (Mahashay Dharampal Gulati) थे. उनकी कहानी बहुत संघर्षों भरी रही है. धर्मपाल गुलाटी का जन्म 27 मार्च, 1923 को सियालकोट (पाकिस्तान) में हुआ और मृत्यु दिसंबर, 2020 में हुई. उनके पिता महाशियां दी हट्टी (Mahashian Di Hatti) नाम से दुकान चलाते थे. बंटवारे के बाद ये दिल्ली आए और यही महाशियां दी हट्टी बन गई देश का पॉपुलर मसाला ब्रांड एमडीएच. आइए एक नजर मसाला किंग की कहानी पर डाल लेते हैं. 


24 साल की उम्र में विभाजन का दंश झेला


धर्मपाल गुलाटी के पिता को देगी मिर्च वाले के नाम से भी जाना जाता था. गुलाटी ने 10 साल की उम्र में ही स्कूल छोड़ दिया और अपने परिवार को सपोर्ट करने लगे. उन्होंने बढ़ई, राइस ट्रेडिंग और हार्डवेयर बेचने का काम करते थे. बाद में उन्होंने पिता का मसाला कारोबार ज्वॉइन कर लिया था. उस समय उनका टर्नओवर 500 से 800 रुपये के बीच था. मात्र 24 साल की उम्र में उन्हें विभाजन का दंश झेलना पड़ा और सब कुछ छोड़कर दिल्ली आना पड़ा. यहां उन्होंने एमडीएच ब्रांड की शुरुआत की. 


देश का दूसरा सबसे बड़ा मसाला ब्रांड 


एमडीएच को देश का दूसरा सबसे बड़ा मसाला ब्रांड माना जाता है. धर्मपाल गुलाटी ने इसे करोलबाग की एक छोटी सी दुकान से ग्लोबल ब्रांड बनाने में अहम भूमिका निभाई थी. आज एमडीएच का मार्केट शेयर 12 फीसदी है. यह एवरेस्ट मसाले को कड़ी टक्कर दे रहा है. एमडीएच के 60 से ज्यादा प्रोडक्ट लगभग 100 देशों में बेचे जा रहे हैं. उन्हें 94 वर्ष की उम्र में एफएमसीजी सेक्टर के सबसे ज्यादा सैलरी लेने वाले सीईओ का दर्जा भी प्राप्त था. 


खराब दौर से गुजर रही है एमडीएच


फिलहाल एमडीएच शायद अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही है. देश की टॉप 2 मसाला कंपनियां एमडीएच और एवरेस्ट में पेस्टीसाइड पाए जाने के आरोपों के चलते सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग और मालदीव में बैन लगा दिया गया है. भारत समेत कई अन्य देशों में भी इसके खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है. हालांकि, एमडीएच ने सफाई देते हुए कहा है कि उनके मसालों में किसी प्रकार का हानिकारक तत्व नहीं है.


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