Manufacturing Purchasing Managers' Index: देश में विनिर्माण यानी मैन्यूफैक्चरिंग की रफ्तार हल्की धीमी पड़ती दिखाई दे रही है. एसएंडपी ग्लोबल (S&P Global) के एक हालिया सर्वे के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र के पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स यानी पीएमआई (PMI) का आंकड़ा जुलाई में 57.7 पर रहा है. लगातार दूसरे महीने मैन्यूफैक्चरिंग PMI में गिरावट दर्ज की गई है और पिछले महीने यानी जून में ये घटकर 57.8 पर रहा था.

जून में कितना रहा था मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई



जून में मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई का आंकड़ा 57.8 पर रहा था वहीं मई में भी मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई डेटा अच्छी तेजी के साथ 58.7 पर रहा था जो कि देश की विनिर्माण गतिविधियों की अच्छी रफ्तार को दिखाता है. वैसे तो मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई का आंकड़ा लगातार 2 साल से 50 के ऊपर के आंकड़े को दिखा रहा है जो कि अच्छा संकेत कहा जा सकता है. एसएंडपी के मुताबिक भी भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में जुलाई में विकास की गति कम होने के कोई संकेत नहीं दिखे क्योंकि नए ऑर्डर में मजबूत वृद्धि के कारण उत्पादन लाइनें चालू रहीं.


क्यों दिखी है इस बार हल्की गिरावट


नए ऑर्डर्स की आमद में हल्की तेजी रही पर आउटपुट में हल्की गिरावट के कारण देश के मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई में मामूली कमजोरी देखी गई है. हालांकि देश में विस्तार गतिविधियों में तेजी बनी हुई है. एसएंडपी ग्लोबल के हालिया सर्वे के मुताबिक ये निष्कर्ष निकलकर सामने आया है. नए ऑर्डर्स के लिए जुलाई मे माहौल अनुकूल रहा और हालांकि आउटपुट ग्रोथ थोड़ी नरम होकर तीन महीने के निचले स्तर पर दिखी, फिर भी न्यू ऑर्डर्स के मोर्चे पर स्थिति बहुत ज्यादा खराब नहीं रही.


इनपुट कीमतें पिछले अक्टूबर के बाद सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ी हैं, लिहाजा आउटपुट कीमतों में भी तेजी देखी गई है. हालांकि महंगाई के मोर्च पर अनिश्चितता को देखते हुए कहा जा सकता है कि इससे पिछले महीने यानी जून के मुकाबले जुलाई में आउटपुट कीमतों का रुख अनुकूल रहा है. देश की रिटेल महंगाई दर जून में 4.81 फीसदी पर आई है और इसके आने वाले महीनों में और तेजी से बढ़ने की आशंका है. इसके चलते ही बाजार इस बात का अनुमान लगा रहा है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अपनी नीतिगत दरों को लंबे समय तक ऊंचे स्तर पर रख सकता है.


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