नई दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान मजदूरों के रिवर्स माइग्रेशन का असर अब उद्योगों पर दिखने लगा है. खास कर ऐसे उद्योगों में जहां बड़ी तादाद में कामगार काम करते हैं. टेक्सटाइल ऐसी ही इंडस्ट्री है. यहां अब कामगारों की कमी होने लगी है.
लुधियाना से लेकर तिरुपुर तक कामगारों की कमी
लुधियाना से लेकर तिरुपुर तक के निटवेयर उद्योग आजकल कामगारों की कमी से जूझ रहे हैं. लॉकडाउन की वजह से कामगारों के घर लौटने से यहां की यूनिटों में दर्जियों और फिनिशिंग कर्मियों की भारी कमी हो गई है. इंडस्ट्री का एक हिस्सा जहां मजदूरों को ज्यादा वेतन और इन्सेंटिव देकर बुला रहा है वहीं कुछ उद्योगपतियों ने यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल के सरकारों से संपर्क किया है. यहीं से ज्यादा मजदूर आते हैं. ये उद्योग इन्हें लौट आने के लिए मनाने में लगे हैं.
क्लोदिंग मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन का कहना है कि कपड़ों पर आयरन करने और उन्हें पैक करने वाले कामगारों की भारी कमी हो गई है. दर्जियों की कमी तो है ही. टेक्सटाइल यूनिटों में 70 फीसदी से अधिक लोग कपड़े सिलने के काम में लगे होते हैं. पांच से सात फीसदी कामगार कटिंग का काम करते हैं. 20 फीसदी कामगार आयरन करते हैं और 5 फीसदी पैकिंग.
गारमेंट इंडस्ट्री में आधे से ज्यादा कामगार प्रवासी
गारमेंट मैन्यूफैक्चरिंग उद्योग में से कम से कम 1 करोड़ 20 लाख लोग काम करते हैं. इनमें से 50 फीसदी प्रवासी मजूदर होते हैं. ज्यादातर टेक्सटाइल यूनिटें महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, पंजाब और यूपी के नोएडा में हैं.
लॉकडाउन के बाद फैक्ट्रियां अब खुलने लगी हैं. लेकिन काम शुरू होने के बावजूद मजदूरों की कमी है. हाल में नोएडा में काम रही टेक्सटाइल यूनिटों ने कामगारों की कमी का मुद्दा उठाया था.कुछ यूनिटों ने बिहार, बंगाल और झारखंड के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिख कर कामगारों को लौटने के लिए प्रेरित करने को कहा है. इन इकाइयों का कहना है कि वे कामगारों का अब ज्यादा ध्यान रखेंगे. उन्हें ज्यादा वेतन और इन्सेंटिव मिलेगा.