ITR Filing: सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने टैक्सपेयर्स की सुविधा का ख्याल रखते हुए इस साल ITR फाइल करने की डेडलाइन 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर कर दी है. यह राहत सिर्फ उन टैक्सपेयर्स के लिए ही हैं, जिनके अकाउंट के ऑडिट की जरूरत नहीं होती है जैसे कि वेतनभोगी कर्मचारी, पेंशनर्स. कई और लोगों को पुरानी समय सीमा के हिसाब से ही टैक्स भरना होगा. वक्त अभी भी है इसलिए सारे डॉक्यूमेंट्स अपने पास जमा कर लें ताकि रिटर्न फाइल करते वक्त कोई परेशानी न हो.
फॉर्म 16
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त जिन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होगी उनमें से एक है फॉर्म 16, जो आपको आपका एम्प्लॉयर देता है. इसमें आपकी टोटल सैलरी कितनी है, TDS कितना काटा गया है, टैक्स की पूरी जानकारी होती है. इससे आपको यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि टैक्स पोर्टल पर भरा गया डेटा सही है या नहीं.
फॉर्म 16A, 16B, 16C, और 16D
फॉर्म 16 A इंश्योरेंस कमीशन और फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले इंटरेस्ट से होने वाले इनकम पर लागू होता है. जब कोई व्यक्ति 50 लाख रुपये से अधिक का अचल संपत्ति खरीदता है, तो खरीदार को विक्रेता का TDS काटना होता है. फिर इसे फॉर्म QB में दाखिल कराना होता है. इसके बाद फॉर्म 16B बनकर तैयार हो जाता है. इसी तरह से अगर महीने का किराया 50000 से अधिक है, तो किराएदार मकान मालिक को फॉर्म 16C जारी करता है. किरायेदार टीडीएस काटने और प्रमाणपत्र देने के लिए जिम्मेदार होता है. इन सर्टिफिकेट्स की मदद से अलग-अलग स्त्रोतों से हुई कमाई का पता लगाने और टैक्स रिटर्न बिना किसी चूक के भरने में आसानी होती है.
AIS, TIS और फॉर्म 26AS
ये आपके टैक्स रिकॉर्ड की तरह होते हैं. फॉर्म 26AS में TDS और TCS की जानकारी होती है. AIS में बैंक इंटरेस्ट, FD और शेयर की डिटेल रहती है, जबकि TIS में AIS में दी गई जानकारी का एक सारांश होता है. ये सभी इनकम टैक्स की वेबसाइट्स पर उपलब्ध हैं.
कैपिटल गेन स्टेटमेंट
अगर आपने स्टॉक, म्यूचुअल फंड या प्रॉपर्टी बेची है, तो आपको अपने कैपिटल गेन्स के बारे में बताना होगा. अपने ब्रोकर या फंड हाउस से कैपिटल गेन स्टेटमेंट प्राप्त करें.
बैंक स्टेटमेंट और इंटरेस्ट सर्टिफिकेट
बैंक और पोस्ट ऑफिस स्कीम पर मिलने वाले ब्याज की सर्टिफिकेट जरूर लें क्योंकि इन पर मिलने वाले ब्याज को ITR में दिखाना जरूरी होता है. इससे आपको AIS या फॉर्म 26AS में छूटी हुई किसी भी जानकारी को ढूंढ़ने में मदद मिलती है.
विदेश में हुई कमाई या अनलिस्टेड शेयर
अगर आपके पास किसी विदेशी कंपनी के शेयर हैं या आपका वहां कोई बैंक अकाउंट है, तो आपको इसकी सूचना देनी होगी, भले ही आपका टोटल इनकम एग्जेम्प्शन लिमिट से कम हो. यही बात भारतीय कंपनियों के अनलिस्टेड शेयरों पर भी लागू होगी. आपको कंपनी का नाम और शेयरों की संख्या की पूरी जानकारी देनी होगी.
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