नई दिल्लीः जेपी इंफ्राटेक की परियोजनाओं में घर के लिए पैसा लगाने के लिए राहत की खबर. सरकार ने दिवालिया कानून से जुड़े नियमों में बदलाव कर किसी भी व्यक्ति के लिए दिवालिया कंपनी से पैसा वापस पाने का रास्ता साफ कर दिया है. बस इसके लिए एक नया फॉर्म भरना होगा.


दरअसल, मौजूदा दिवालिया कानून के तहत गिरवी रखकर कर्ज देने वाले बैंक और वित्तीय संस्थाएं यानी फाइनेंशियल क्रेडिटर के साथ उधार पर सामान और सेवाएं मुहैया कराने वाले यानी ऑपरेशनल क्रेडिटर के लिए दावा ठोंकने का तो इंतजाम है. लेकिन इन सब के अलावा बचे लोगों की देनदारी के लिए प्रावधान स्पष्ट नहीं था. जेपी इंफ्राटेक के मामले में कहें तो जिन लोगों ने घर खरीदने के लिए पैसा दे रखा है, लेकिन अभी तक जिन्हे घर नहीं मिला है, उनके लिए दावा ठोकने की स्पष्ट व्यवस्था नहीं थी. अब कानून के तहत ऐसे ही लोगों के दावा ठोकने के लिए नया फ़ॉर्म जारी किया गया है.


जेपी इंफ्राटेक की आवासीय परियोजनाओं में पैसा लगाने के बाद घर का इंतजार करने वाले नया फॉर्म यानी फॉर्म एफ, दिवालिया कानून पर अमल कराने वाली संस्था के बेबसाइट यानी www.ibbi.gov.in से डाउनलोड कर सकते हैं. फॉर्म के साथ घर खरीदारों को दावे के तौर पर बैंक स्टेटमेंट या अलॉटमेंट लेटर में से कोई एक जमा कराना होगा. फॉर्म व्यक्तिगत तौर पर, डाक के द्वारा या फिर इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भेजा जा सकता है. इलेक्ट्रॉनिक तरीके से फॉर्म जहां ईमेल आईडी IRPJIL@bsraffliates.com पर भेजा जा सकता है, वहीं व्यक्तिगत तौर पर डाक के द्वारा इस पते पर भेजें.


ANUJ JAIN
INTERIM RESOLUTION PROFESSIONAL FOR JAYPEE INFRATECH LIMITED
C/o BSRR & Co. Cgartered Accountants
Tower B, DLF Cyber City
Phase II
Gurugram – 122002 (Haryana)


ध्यान रहे कि फॉर्म भेजने की आखिरी तारीख 24 अगस्त है.


क्या है पूरा मामला
बीते हफ्ते आईडीबीआई बैंक की याचिका पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी एनसीएलटी ने जेपी समूह की अग्रणी कंपनी जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ दिवालिया कानून (Insolvency and Bankruptcy Code) के तहत कार्रवाई शुरु करने करने का निर्देश दिया.


दिवालिया कानून के तहत कार्यवाही की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए एक प्रोफेशनल की नियुक्ति की गयी है. जबकि कंपनी के निदेशक बोर्ड को निलंबित कर दिया गया है. ये प्रोफेशनल, कंपनी प्रबंधन और बैंकों के साथ मिलकर कंपनी की वित्तीय स्थिति सुधारने और कर्ज चुकाने का रास्ता ढ़ुंढ़ने की कोशिश करेगा जिसमें शुरुआती तौर पर छह महीने का समय मिलेगा जिसे बाद में तीन महीने के लिए और बढ़ाया जा सकता है. इसके बाद भी अगर कंपनी की माली हालत नही सुधरी और कर्ज चुकाने का रास्ता नहीं निकला तो बैंक उसकी संपत्ति बेचने का काम शुरु कर सकते है.


ट्रिब्यूनल की इलाहाबाद बेंच के आदेश के मुताबिक, 526.11 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है. चूंकि ये एक लाख रुपये से कहीं ज्यादा है. इसीलिए आईडीबीआई बैंक ने बेंच के सामने दिवालियापन कानून के तहत कार्यवाही शुरु करने का प्रस्ताव किया. पहले जेपी समूह ने इस प्रस्ताव पर अपनी आपत्ति जतायी थी, लेकिन 4 अगस्त को उसने अपनी आपत्ति वापस ले ली. आपत्ति वापस लेने के पीछे कंपनी ने साफ किया कि वो तमाम बैंकों और उसकी परियोजनाओं में घर खरीदने वालों के हितों को देखते हुए ही उसने ये कदम उठाया. इसी के बाद इलाहाबाद बेंच ने अपना फैसला सुना दिया.


फैसला 9 अगस्त से प्रभावी माना जाएगा. अब अगर इसमें ज्यादा से ज्यादा नौ महीने का समय जोड़ दे तो अप्रैल तक वित्तीय स्थिति सुधारने का समय है जिसके बाद संपत्तियो की नीलामी शुरु हो सकती है.



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