JayPee Infratech Money Laundering Case: जेपी इन्फ्राटेक के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज गौर की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं. मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पांच दिन की ईडी हिरासत पूरी होने के बाद मंगलवार को उन्हें दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया. अदालत ने उनकी हिरासत समाप्त होने के बाद मनोज गौर को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया है.

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क्या है पूरा मामला?

ईडी ने 13 नवंबर (गुरुवार) को ग्रेटर नोएडा के नामी बिल्डर मनोज गौर को प्रोजेक्ट में निवेशकों के साथ कथित धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने उन्हें 5 दिन की ईडी कस्टडी में भेज दिया था.

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कोर्ट में सुनवाई के दौरान ईडी अधिकारियों ने बताया कि मनोज गौर के नेतृत्व वाली कंपनियों ने घर खरीदारों से 32,825 करोड़ रुपये जुटाए, लेकिन इनमें से लगभग 13,833 करोड़ रुपये का उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिए किया गया. निर्माण कार्यों पर कुल मिलाकर केवल 18,000 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए.

इन्वेस्टर्स की कई शिकायतें दर्ज

एजेंसी का आरोप है कि कंपनियों ने बड़ी रकम विभिन्न फर्मों और निजी खातों में ट्रांसफर की, जिसके चलते हजारों घर खरीदारों को अब तक उनके फ्लैटों का कब्जा नहीं मिल पाया है.

इस मामले में दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस में कई एफआईआर दर्ज हैं. निवेशकों ने शिकायत की है कि उन्हें तय समय पर घर नहीं मिला और उनकी पूंजी अटक कर रह गई. ईडी ने कोर्ट को बताया कि मनोज गौर की रिमांड इसलिए जरूरी है ताकि भारी रकम के कथित दुरुपयोग, विदेशों में हुए लेन-देन और अन्य संबंधित आरोपियों की भूमिका की गहन जांच की जा सके.

ईडी की कस्टडी के दौरान मनोज गौर के वकीलों ने कोर्ट में दलील दी कि वे पहले से ही जांच में सहयोग कर रहे हैं और समूह के कई प्रोजेक्ट्स में खरीदारों को घर का कब्जा मिल चुका है. गौर परिवार की ओर से गिरफ्तारी को अनावश्यक बताते हुए रिमांड अवधि कम करने की मांग की गई. हालांकि, सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने 5 दिन की ईडी रिमांड को उचित मानते हुए मंजूरी दे दी.

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