IT Stocks Crash: दिग्गज आईटी कंपनी एक्सेंचर (Accenture) ने साल 2024 के लिए अपने रेवेन्यू के गाइडेंस को घटा दिया जिसके चलते गुरुवार को अमेरिकी शेयर बाजार में भारतीय आईटी स्टॉक्स का एडीआर में बड़ी गिरावट देखी गई थी. और जैसा कि अनुमान था शुक्रवार 25 मार्च 2024 को भारतीय शेयर बाजार में इसका असर देखने को मिला. बाजार खुलते ही आईटी स्टॉक्स में औंधे मुंह जा गिरे. निफ्टी के आईटी इंडेक्स 1300 अंक नीचे जा लुढ़का. निफ्टी आईटी इंडेक्स में शामिल सभी 10 शेयरों में तेज गिरावट रही. 


5 फीसदी तक गिरे आईटी स्टॉक्स 


आईटी स्टॉक्स में सबसे बड़ी गिरावट विप्रो के शेयर में देखने को मिली जो पिछले क्लोजिंग प्राइस से 4 फीसदी नीचे जा फिसला. एलटीआईमाइंडट्री का स्टॉक्स भी 4 फीसदी की गिरावट के साथ 4945 रुपये तक जा लुढ़का. इंफोसिस के शेयर में भी तेज गिरावट देखने को मिली और शेयर 3.66 फीसदी की गिरावट के साथ 1500 रुपये के नीचे जा फिसला. 


निचले लेवल से मामूली रिकवरी 


हालांकि तेज गिरावट के बाद निचले लेवल से आईटी स्टॉक्स में थोड़ी रिकवरी आई है. फिलहाल निफ्टी का आईटी इंडेक्स 685 अंकों की गिरावट के साथ 35,348 अंकों पर कारोबार कर रहा है. पर्सिसटेंट फिलहाल 2.16 फीसदी, कोफॉर्ज 2.05 फीसदी, एमफैसिस 2 फीसदी, एचसीएल टेक 2 फीसदी, टीसीएस 1.32 फीसदी, एल एंड टी टेक्नोलॉजी 1.15 फीसदी और टेक महिंद्रा 1.14 फीसदी की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है. बीएसई का आईटी इंडेक्स भी 600 अंकों के करीब गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है जो सुबह 1200 अंकों तक नीचे जा लुढ़का था. 


क्यों गिरे आईटी स्टॉक्स


आईटी कंपनी एक्सेंचर ने 2024 के लिए जो गाइडेंस जारी किया है उसमें वैश्विक आर्थिक संकट के मद्देनजर रेवेन्यू अनुमान को घटा दिया गया है. रेवेन्यू गाइंडेस को घटाकर 1 से 3 फीसदी कर दिया गया है. एक्सेंचर को लगता है कि कंपनियां कठिन हालात के मद्देनजर प्रोजेक्ट्स पर किए जाने वाले खर्च में कटौती करेंगी जिससे आईटी सर्विसेज के डिमांड पर असर पड़ेगा. कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने अपने रिपोर्ट में कहा कि एक्सेंचर ने रेवेन्यू गाइडेंस को 2 से 5 फीसदी से घटाकर 1 से 3 फीसदी कर दिया है. कोटक के मुताबिक एक्सेंचर के नतीजे और आउटलुक निकट अवधि में डिमांड को लेकर सतर्क रहने की हमारी उम्मीदों की पुष्टि करता है. एक्सेंचर ने छोटी अवधि में खर्च घटने के संकेत दिए हैं जो विप्रो, एलटीआईमाइंडट्री, एमफैसिस और इंफोसिस जैसी कंपनियों के लिए नकारात्मक है जो खर्च में कुछ सुधार का अनुमान जता रहे थे. 


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