Sin Tax: देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) एक फरवरी को अंतरिम बजट (Interim Budget) पेश करने वाली हैं. चुनावी साल होने की वजह से उम्मीद जताई जा रही है कि इसमें बड़े बदलाव नहीं किए जाएंगे. टैक्सदाताओं को इनकम टैक्स में छूट का इंतजार है. सारे उद्योग अपने हित की योजनाओं की उम्मीद वित्त मंत्री (Finance Minister) से लगाए बैठे हैं. मगर, निर्मला सीतारमण ने संकेत दिए हैं कि बड़ी घोषणाओं को वो आने वाली सरकार के ऊपर छोड़ेंगी. हालांकि, एक टैक्स ऐसा है जिसमें हर बजट में इजाफा होता ही है. उसे हम ‘सिन टैक्स’ या ‘पाप कर’ के नाम से जानते हैं. आइए जान लेते हैं कि आखिरकार क्या है यह सिन टैक्स.


तम्बाकू, शराब और जुआ पर लगता है यह टैक्स


कुछ ही महीनों में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. उसके बाद नई सरकार का गठन होगा, जो कि पूर्ण बजट पेश करेगी. भले ही अंतरिम बजट में कोई बड़े बदलाव नहीं होने वाले हों लेकिन, सिन टैक्स का बढ़ना लगभग तय है. यह टैक्स तम्बाकू, शराब और जुआ जैसे उत्पादों पर लगाया जाने वाला एक बड़ा कर है. सरकार की कोशिश रहती है कि इन्हें महंगा करके जनता को इनके इस्तेमाल से दूर करने का प्रयास किया जाए. 


इस टैक्स से सरकार को दोहरा लाभ


भारत लगातार सिगरेट, शराब और पान मसाला जैसे प्रोडक्ट पर भारी कर बढ़ाता जा रहा है. यह दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जहां सबसे ज्यादा सिन टैक्स लगता है. इस टैक्स से दोहरे लाभ होते हैं. पहला सरकार का रेवेन्यू बढ़ता है. साथ ही सिगरेट, शराब और तम्बाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने का जनता विरोध भी नहीं करती. दूसरा तम्बाकू प्रोडक्ट और शराब से लोगों के स्वास्थ्य को बचाने में भी मदद मिलती है. सिन टैक्स बढ़ने से इन प्रोडक्ट को बनाने वाली कंपनियों पर भी भार पड़ता है. 


लगभग हर बजट में किया जाता है इजाफा 


यही वजह है कि सिन टैक्स को हर सरकार के लिए एक दुधारू गाय के तौर पर देखा जाता है. कोई भी सरकार अपने हर बजट का इस्तेमाल इन उत्पादों पर चोट करने के लिए करती है. ऐसे में तय माना जा रहा है कि वित्त मंत्री इस अंतरिम बजट में भी इन प्रोडक्ट्स पर सिन टैक्स बढ़ाकर कड़ी चोट कर सकती हैं.


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