RBI Monetary Policy Meeting: मौजूदा वित्त वर्ष में महंगाई आपको और सता सकती है जिसके चलते आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 के लिए महंगाई दर के अनुमान को बढ़ा दिया है. आरबीआई ने 2022-23 में अपने महंगाई दर के अनुमान को 5.7 फीसदी से बढ़ाकर 6.7 फीसदी कर दिया है. यानि महंगाई दर के अनुमान में आरबीआई ने 1 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है. आरबीआई के मुताबिक 2022-23 वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 7.5 फीसदी, दूसरी तिमाही में 7.4 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.2 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.8 फीसदी महंगाई दर रहने का अनुमान जताया है. 


महंगाई दर का बढ़ा अनुमान
भारतीय रिजर्व बैंक अब खुदरा महंगाई दर 6.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. जबकि पिछले साल 2021-22 में ये अनुमान 4.5 फीसदी रहा था. अप्रैल महीने में मॉनिटरी पॉलिसी का ऐलान करते हुए आरबीआई ने पहले 5.7 फीसदी महंगाई दर रहने का अनुमान जताया था. दरअसल अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई दर 7.79 फीसदी रहा है जो 8 सालों का उच्चतम स्तर है जिसके चलते आरबीआई को महंगाई दर के अनुमान को समीक्षा करते हुए फिर से बढ़ाना पड़ा है. आरबीआई गर्वनर ने कहा है कि आरबीआई मॉनिटरी पॉलिसी के जरिए महंगाई पर लगाम कसने की कोशिश करेगी. यानि ग्रोथ के मुकाबले प्राथमिकता अब महंगाई को कम करना होगा. 



बहुत सता रही महंगाई 
24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला था. जिसके बाद कई कमोडिटी की सप्लाई बाधित हो गई. फिर पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रकार के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए. युद्ध और प्रतिबंध का असर ये हुआ कि एक समय कच्चे तेल के दाम 140 डॉलर प्रति बैरल के पार चला गया. फिलहाल कच्चा तेल 120 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है. इंटरनेशनल मार्केट में प्रॉकृतिक गैस के दाम बढ़ने से केंद्र सरकार ने घरेलू गैस के दामों में दोगुनी बढ़ोतरी कर दी जिसके चलते सीएनजी -  पीएनजी महंगा होता जा रहा है जिससे ट्रांसपोर्टेशन से लेकर खाना पकाना महंगा हो चुका है. यूक्रेन पर हमले के बाद से गेंहू ले लेकर खाने का तेल महंगा हुआ है. तो उद्योगों के लिए स्टील, एल्मुमिनियम, और दूसरे कमोडिटी के दाम बढ़ रहे हैं. जिसके चलते महंगाई बढ़ने लगी है और उसपर से युद्ध लंबा खींचा तो महंगाई और सता सकती है, भविष्य में और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है.  



क्या कर्ज होगा महंगा?  
महंगाई बढ़ने का सीधा असर ब्याज दरों पर पड़ता है. कोरोना महामारी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने तेज रिकवरी की तो उसकी बड़ी सस्ता कर्ज है जिसके चलते देश में घरों की मांग ले लेकर,  कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, कारें एसयूवी की मांग बढ़ी जिसका सीधा फायदा अर्थव्यवस्था पर पड़ा. लॉकडाउन के बाद लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने में मदद मिली. लेकिन खुदरा महंगाई बढ़ी तो कर्ज भी इसके चलते महंगा होगा जिसका दुष्प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है. यही वजह है कि आरबीआई का फोकस आर्थिक विकास को गति देने से ज्यादा महंगाई पर काबू पाने पर रहने वाला है. 


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