IndiGo Crisis: देश की लगभग 60 प्रतिशत घरेलू उड़ानों पर नियंत्रण रखने वाली एयरलाइन कंपनी इंडिगो इस समय गंभीर संकट से गुजर रही है. स्थिति इतनी बिगड़ गई कि सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा और डीजीसीए ने कंपनी को नोटिस जारी किया. यही मुद्दा सोमवार को लोकसभा में भी कांग्रेस पार्टी की ओर से उठाया गया. बीते एक सप्ताह से लगातार उड़ानें रद्द होने, देरी और यात्रियों की शिकायतों के कारण इंडिगो को लेकर बाजार में नकारात्मक धारणा बनी, जिसका सीधा असर इसके शेयरों पर पड़ा. इंट्रा-डे कारोबार के दौरान इंडिगो के शेयरों में 7 प्रतिशत तक की भारी गिरावट दर्ज की गई.
इंडिगो शेयर में बड़ी गिरावट
हालांकि, एयरलाइन का कहना है कि वह उड़ानों की संख्या बढ़ाने और अपने ऑन-टाइम परफॉर्मेंस में तेजी से सुधार करने की कोशिश कर रही है. इसी बीच ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने इंडिगो के मौजूदा संकट को निवेशकों के लिए “खरीदारी का अवसर” बताया है. जेफरीज ने इंडिगो के शेयर पर Buy रेटिंग देते हुए 7,025 रुपये का टारगेट प्राइस तय किया है, जो वर्तमान मूल्य से लगभग 31 प्रतिशत की संभावित बढ़त दर्शाता है. फर्म के अनुसार, इंडिगो की स्थिति के पीछे सरकार द्वारा किए गए नियामकीय बदलाव और कुछ परिचालन संबंधी कमियां जिम्मेदार हैं.
एयरलाइन कंपनी तेजी से रिकवरी की कोशिश कर रही है. रविवार को इंडिगो ने 1,650 उड़ानें संचालित कीं, जबकि एक दिन पहले यह संख्या 1,500 थी. ऑन-टाइम परफॉर्मेंस भी 30 प्रतिशत से बढ़कर 75 प्रतिशत तक पहुंच गया. इससे पहले, 5 दिसंबर को कंपनी को एक ही दिन में 1,000 से अधिक उड़ानें रद्द करनी पड़ी थीं. हालात संभालने के लिए इंडिगो ने वीकेंड में क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप (CMG) का गठन किया, जिसमें सभी प्रमुख बोर्ड सदस्य और वरिष्ठ नेतृत्व शामिल रहे.
तेजी से एयरलाइंस कर रही रिकवरी
सीएमजी ने लगातार बैठकों के जरिए परिचालन स्थिति की समीक्षा की, जबकि इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने यात्रियों के लिए जारी संदेश में स्वीकार किया कि 5 दिसंबर कंपनी के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण दिन था, जब दैनिक उड़ानों का लगभग 60 प्रतिशत रद्द करना पड़ा.
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