'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान का साथ देना तुर्की को भारी पड़ रहा है. तुर्की और अजरबैजान दो ऐसे देश है, जो मई में दोनों देशों के बीच घमासान के बीच पाकिस्तान के सपोर्ट में आगे आए थे. इसका असर यह रहा है कि यहां भारतीय पर्यटकों की आवाजाही में भारी कमी आई है. हाल के दिनों में टूरिज्म स्टैटिसटिक्स के डेटा से इसका खुलासा हुआ है. बीते कुछ सालों में अजरबैजान और तुर्की भारतीयों की पसंदीदा हॉलिडे डेस्टिनेशन के रूप मे उभरे थे. दोनों देशों के बीच डायेक्ट फ्लाइट की सर्विस भी बढ़ाई गई. तुर्की के कई बड़े एयरपोर्ट्स में से एक इस्तांबुल भी बड़े पैमाने पर भारत से लोग जाने लगे थे. 

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तुर्की के मिनिट्री ऑफ कल्चर एंड टूरिज्म की डेटा के मुताबिक, मई से लेकर अगस्त के बीच तुर्की जाने वाले भारतीयों की संख्या एक तिहाई घटकर लगभग 90,400 रह गई, जबकि पिछले साल इस दौरान यह संख्या लगभग 1.36 लाख थी.  2025 के शुरुआती चार महीनों में लगभग 83,300 भारतीयों ने तुर्की का दौरा किया, जो पिछले साल की समान अवधि के 84,500 आगंतुकों की संख्या से थोड़ा कम है. यानी कि यह संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है.

भारतीयों ने मिलकर सिखाया सबक

भारत ने जरूरत की वक्त हमेशा तुर्की की मदद की, लेकिन 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान को मदद देने की उनकी यह बात भारतीयों को रास नहीं आई. नतीजतन, भारतीयों ने तुर्की और अजरबैजान को बॉयकॉट करना शुरू कर दिया. इसका असर मई से ही दिखने लगा था, जब लोग धड़ाधड़ बुकिंग कैंसिल करने लगे थे. कई बड़ी कंपनियों ने भी तुर्की और अजरबैजान के लिए फ्लाइट और होटल सर्विसेज बंद कर दी. 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद MakeMyTrip और EaseMyTrip जैसे ट्रैवल पोर्टल्स ने भी इन देशों की गैर-जरूरी यात्रा न करने की सलाह दी थी.

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तुर्की और अजरबैजान से भारत ने मोड़ा मुंह

अजरबैजान टूरिज्म बोर्ड के हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी और अप्रैल के बीच भारत से आने वाले पर्यटकों की संख्या में 33 परसेंट का इजाफा हुआ था, लेकिन मई-अगस्त के बीच लगभग 56 परसेंट की गिरावट आई है.  मई और अगस्त के बीच अजरबैजान जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या घटकर लगभग 44,000 रह गई, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह संख्या लगभग 1,00,000 थी. कुल मिलाकर, 2025 के पहले आठ महीनों में अजरबैजान जाने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या में साल-दर-साल 22 परसेंट की गिरावट आई, जो लगभग 1.25 लाख रह गई है. 

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