भारतीय शेयर बाजार में आज भले ही उथल-पुथल के बीच हल्का दबाव दिख रहा है, लेकिन ओवरऑल मोमेंटम स्ट्रॉन्ग बन हुआ है. रैली के इस माहौल के दम पर भारतीय बाजार दिन-दूनी, रात-चौगुनी तरक्की कर रहे हैं. भारतीय बाजार ने इस कारण एक और मामले में चीन के शेयर बाजार को पीछे छोड़ दिया है.


घरेलू बाजार का हाल-चाल


घरेलू बाजार का मौजूदा हाल देखें तो दोपहर 1 बजे सेंसेक्स महज 50 अंक के फायदे में 71,500 अंक के पास ट्रेड कर रहा था, जबकि एनएसई निफ्टी करीब 25 अंक मजबूत होकर 21,740 अंक से थोड़ा ऊपर था. बीते 6 महीने में सेंसेक्स 8 फीसदी से ज्यादा और निफ्टी 10 फीसदी से ज्यादा के फायदे में है. वहीं पिछले एक साल में सेंसेक्स 17.50 फीसदी और निफ्टी 21.50 फीसदी के फायदे में है.


ज्यादा हुई भारतीय बाजार की ट्रेड वॉल्यूम


दूसरी ओर चीन के बाजार गिरावट के साइकिल से गुजर रहे हैं. आर्थिक चुनौतियां और रियल एस्टेट में पसरे संकट बाजार को कमजोर बना रहे हैं. इसके चलते दोनों प्रमुख भारतीय बाजार बीएसई और एनएसई अब ट्रेड वॉल्यूम के मामले में भी हांगकांग से आगे निकल गए हैं. बीएसई और एनएसई का एक महीने का औसत ट्रेड वॉल्यूम 16.5 बिलियन डॉलर प्रति दिन पर पहुंच गया है, जबकि हांगकांग शेयर मार्केट का औसत 13.1 बिलियन डॉलर प्रति दिन रहा है.


हांगकांग को पीछे छोड़ चौथा पायदान


इससे पहले भारतीय शेयर बाजार एमकैप यानी आकार के मामले में भी हांगकांग को पीछे छोड़ चुके हैं. बीएसई का सम्मिलित एम कैप पिछले साल नवंबर के लास्ट में 4 ट्रिलियन डॉलर के पार निकल गया था. वहीं एनएसई का मार्केट कैप दिसंबर 2023 में 4 ट्रिलियन डॉलर के पार निकल गया. बीएसई और एनएसई अब हांगकांग को पीछे छोड़कर दुनिया के चौथे सबसे बड़े बाजार बन गए हैं.


साल भर में इतना गिरा बाजार


इसके पीछे सबसे बड़ा हाथ विदेशी निवेशकों का है, जो आज कल ‘बाय इंडिया, सेल चाइना’ की रणनीति अपनाए हुए हैं. चीन के शेयर बाजारों में चीन की सरकार के दखल के चलते भी विदेशी निवेशकों का भरोसा कम हुआ है. भारत और चीन के बाजार की चाल पर सबसे बड़ा फर्क इसी बात का पड़ा है. आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल जहां भारत का सेंसेक्स करीब 17 फीसदी मजबूत हुआ, तो वहीं हांगकांग के हैंगसेंग में करीब 27 फीसदी की गिरावट आई.


ये भी पढ़ें: सिर्फ 4 साल में 475 रुपये के पार हुआ ये मल्टीबैगर पेनी स्टॉक, आई ऐसी जबरदस्त ग्रोथ