Indian Rupee Fall: भारतीय करेंसी रुपये में इस साल भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है. साल की शुरुआत से अब तक रुपये में करीब 5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. इस गिरावट के साथ ही रुपया एशियाई बाजारों में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला करेंसी बन गया हैं. हालांकि, इस गिरावट से थोड़ी राहत आरबीआई के रेपो रेट में कटौती से मिल सकती हैं.

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पिछले दिनों आरबीआई के द्वारा रेपो ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट कटौती करने का फैसला लिया गया था. साथ ही आरबीआई ने 1 लाख करोड़ रुपये का ओपन मार्केट बॉन्ड खरीदा और 5 अरब डॉलर के स्वैप के जरिए डॉलर की कमी को कम करने की प्रयास किया है. इन फैसलों से बाजार में थोड़ी राहत आई है लेकिन अब सब का ध्यान इस सप्ताह अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक पर है.   

अमेरिकी फेड रेट कट का असर

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CNBC आवाज में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, बाजार जानकारों का मानना है कि, 9 और 10 दिसंबर की अमेरिक फेड की बैठक में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की घोषणा करेगा. इस कटौती से दूसरे बाजारों की मुद्राओं को सपोर्ट मिलता है. हालांकि, इस बार रुपये पर इसका असर सीमित रह सकता है. बाजार विशेषज्ञों को लगता है कि, अमेरिक फेड रेट कट का भारतीय रुपये पर ज्यादा असर नहीं होगा.

साथ ही भारत का ट्रेड गैप लगातार बढ़ रहा है और विदेशी निवेशक भी भारतीय बाजार पर भरोसा नहीं दिखा रहे हैं. जिससे रुपया लगातार कमजोर हो रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि, जब तक भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर सहमति नहीं बनती तब तक रुपये में जारी गिरावट में बड़ा बदलाव संभव नहीं है.    

रुपये में आई फिर गिरावट

सप्ताह के पहले कारोबारी दिन सोमवार को रुपये में गिरावट दर्ज की गई और यह प्रति डॉलर के मुकाबले 90 रुपये को पार कर गया. कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली का असर रुपये की कीमतों पर देखने को मिला. शुरुआती ट्रेडिंग में रुपया डॉलर के मुकाबले 16 पैसे कमजोर होकर 90.11 रुपये के स्तर पर आ गया.

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