India To Cut Russian Crude Oil Imports: भारत नवंबर के अंत से रूस से कच्चे तेल की सीधी खरीद में कटौती करने जा रहा है. यह कदम 21 नवंबर से रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों — रोसनेफ्ट और ल्यूकऑयल- पर लगने वाले नए अमेरिकी प्रतिबंधों के मद्देनज़र उठाया जा रहा है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, विश्लेषकों का कहना है कि ये प्रतिबंध भारतीय रिफाइनरी कंपनियों को अपने तेल खरीद पैटर्न में बदलाव करने के लिए मजबूर कर सकते हैं.

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प्रमुख भारतीय कंपनियां घटाएंगी रूसी तेल की खरीद

भारत के कुल रूसी तेल आयात में आधे से अधिक हिस्सेदारी रखने वाली तीन प्रमुख कंपनियां- रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL), मंगलुरु रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (MRPL) और एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी लिमिटेड (HMEL)- नए अमेरिकी प्रतिबंधों के अनुपालन में रूसी तेल की प्रत्यक्ष खरीद घटाने की तैयारी में हैं. रिलायंस का रोसनेफ्ट के साथ दीर्घकालिक आपूर्ति समझौता है, जबकि एमआरपीएल और एचएमईएल ने भविष्य की रूसी तेल खेपों को स्थगित करने का निर्णय लिया है.

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अमेरिका ने घोषणा की है कि 21 नवंबर से रोसनेफ्ट और ल्यूकऑयल पर कठोर आर्थिक प्रतिबंध लागू होंगे. इन कंपनियों की सभी अमेरिकी संपत्तियों और वित्तीय लेनदेन पर रोक लगाई जाएगी. इसके अलावा, अन्य देशों की संस्थाएं भी यदि इनके साथ बड़े लेनदेन करती हैं, तो उन पर भी “द्वितीयक प्रतिबंध” (secondary sanctions) लगाए जा सकते हैं.

वर्ष 2025 की पहली छमाही में भारत ने रूस से लगभग 18 लाख बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल आयात किया था, जिसमें RIL, MRPL और HMEL की आधे से अधिक हिस्सेदारी रही. हालांकि, गुजरात स्थित वडिनार रिफाइनरी (नायरा एनर्जी, जिसमें रोसनेफ्ट की आंशिक हिस्सेदारी है) अपने मौजूदा रूसी तेल खरीद के तरीके को जारी रखेगी, क्योंकि यह पहले से ही यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के दायरे में है और मुख्य रूप से रूसी कच्चे तेल पर निर्भर है.

दिसंबर में गिर सकती है रूसी तेल की आपूर्ति

नौवहन डेटा फर्म केप्लर के प्रमुख विश्लेषक सुमित रितोलिया का कहना है कि 21 नवंबर के बाद रूसी कच्चे तेल की खेपों में गिरावट दिखेगी, क्योंकि अधिकांश भारतीय रिफाइनरी अमेरिकी प्रतिबंधों का पालन करते हुए रोसनेफ्ट और ल्यूकऑयल से प्रत्यक्ष खरीद घटाएंगी या रोक देंगी. केप्लर का अनुमान है कि दिसंबर 2025 में रूसी तेल आपूर्ति में तेज गिरावट आएगी, हालांकि 2026 की शुरुआत में नए व्यापारिक मार्गों और वैकल्पिक चैनलों के ज़रिए स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो सकती है.

रूसी तेल पर निर्भरता घटाने के लिए भारतीय रिफाइनर अब पश्चिम एशिया, लैटिन अमेरिका, पश्चिम अफ्रीका, कनाडा और अमेरिका से तेल खरीद बढ़ा रहे हैं. अक्टूबर में भारत का अमेरिकी तेल आयात 5.68 लाख बैरल प्रतिदिन रहा — जो मार्च 2021 के बाद सबसे अधिक है.

रितोलिया ने आगे कहा कि हालांकि, अन्य देशों से तेल मंगाने की लागत अधिक है, जिससे मूल्य लाभ घट सकता है. इसके बावजूद आने वाले महीनों में भारत के कच्चे तेल के स्रोत अधिक विविध और संतुलित होने की संभावना है.” कुल मिलाकर, अमेरिकी प्रतिबंधों ने भारत की ऊर्जा रणनीति को पुनः आकार देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जहां सुरक्षा, लागत और आपूर्ति स्थिरता के बीच संतुलन बनाना एक नई प्राथमिकता बन गया है.

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