India Seafood Market: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब अगस्त में भारत पर 50 परसेंट टैरिफ लगाया था, तब उस दौरान देश की एक इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगा था. यह इंडस्ट्री है-भारत का सबसे बड़ा सीफूड मार्केट, जिस पर टैरिफ का गहरा असर देखने को मिला था. खासतौर पर टैरिफ ने भारत के झींगा निर्यात को बुरी तरह से प्रभावित किया क्योंकि भारतीय झींगा का अमेरिका बड़ा खरीदार है.
टैरिफ से चौपट हुआ कारोबार
भारत हर साल अमेरिका में अरबों डॉलर का झींगा भेजता है और टैरिफ से यह कारोबार पूरी तरह चौपट हो गया. टैरिफ की वजह से अमेरिका में झींगा की कीमतों में 20-21 परसेंट तक का उछाल आया और टैरिफ का यही बढ़ा हुआ बोझ वहां के उपभोक्ताओं पर पड़ा. ऐसे में अमेरिका से झींगा के कई ऑर्डर कैंसिल हो गए. मामला गहराता गया और आंध्र प्रदेश से अमेरिका को होने वाले झींगा एक्सपोर्ट में 59.72 परसेंट तक की गिरावट आई. जाहिर तौर पर इससे एक्सपोटर्स को तगड़ा नुकसान हुआ.
अब कमबैक करने की तैयारी में इंडस्ट्री
आंध्र प्रदेश देश का सबसे बड़ा झींगा उत्पादक राज्य है. टैरिफ से हुए नुकसान के कारण यहां कई सीफूड प्रोसेसिंग यूनिट बंद हो गए क्योंकि निर्यातकों के लिए कारोबार में अचानक बढ़े हुए खर्च को झेलना मुश्किल हो रहा था. लेकिन अब इसी इंडस्ट्री ने गजब का कमबैक किया है. भारत झींगा निर्यात पर अमेरिका पर निर्भरता को कम करते हुए नए-नए बाजार तलाश रहा है. इनमें रूस और यूरोपीय यूनियन भी शामिल है.
भारत ने तो रूस के साथ एक समझौता भी किया है, जिसके तहत रूस भारत की लगभग 25 फिश प्रोसेसिंग यूनिट्स को अपने बाजार में एक्सपोर्ट की इजाजत देगा. इसी मंजूरी के साथ अब ये यूनिट्स सीधे रूस में अपना प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट कर पाएंगी. हाल ही में यूरोपियन यूनियन (EU) ने भी भारत की 102 नई मरीन यूनिट्स को मंजूरी दी.
भारत के सीफूड एक्सपोर्ट में झींगा की सबसे हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है. 2024–25 में भारत ने 4.88 अरब डॉलर का झींगा एक्सपोर्ट किया, जो टोटल सीफूड एक्सपोर्ट का लगभग 66 परसेंट है. लेकिन ट्रंप के टैरिफ ने सारा खेल बिगाड़ दिया. हालांकि, अब नए रास्ते तलाशकर देश की यह इंडस्ट्री धीरे-धीरे संभल रही है. इसी क्रम में भारत UAE के साथ भी बातचीत कर रहा है ताकि वहां भी इंडस्ट्री को अपने उत्पादों के लिए कुछ नए मौके मिल सके.
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