Wheat Price Hike: आपकी थाली की रोटी और महंगी होने वाली है. गेहूं के दामों में भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है. मांग में तेजी और इंवेंटरी घटने के चलते गेहूं की कीमतों में उछाल देखा जा रहा है. वहीं सरकार के गोदामों में गेहूं का स्टॉक 6 सालों के न्यूनत्तम स्तर पर आ गया है. ऐसे में माना जा रहा है कि नई फसल के बाजार में आने तक गेहूं के दामों में और तेजी जारी रह सकती है. 
 
गेहूं के दामों में उछाल, आटा भी हुआ महंगा


घरेलू बाजार में मई 2022 के बाद से गेहूं की कीमतों में 25 से 30 फीसदी का उछाल आ चुका है. गेहूं के दामों में उछाल के चलते आटा के दामों में भी भारी बढ़ोतरी आई है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भी गेहूं और आटा के दामों में भारी इजाफा हुआ है. 13 दिसंबर को गेहूं का औसत कीमत 32.02 रुपये किलो पर तो अधिकत्तम मुल्य 48 रुपये प्रति किलो, व्यूनत्तम कीमत 20 रुपये किलो और मोडल प्राइस 28 रुपये किलो पर आ चुका है. वहीं आटा का औसत मुल्य 37.16 रुपये किलो, को अधिकत्तम कीमत 66 रुपये किलो पर जा पहुंचा है. मोडल प्राइस 35 रुपये किलो और न्यूनत्तम भाव 24 रुपये किलो है. 


गेहूं का स्टॉक 6 साल के निचले लेवल पर


एक दिसंबर 2021 को सरकार के गोदामों में 37.85 मिलियन टन गेहूं का स्टॉक था जो घटकर 19 मिलियन टन पर आ चुका है. इससे पहले 2014 और 2015 में सूखा के चलते 2016 में गेहूं का स्टॉक 16 मिलियन टन रहा था.  बहरहाल गेहूं की नई फसल के बाजार में आने में समय है. ऐसे में गेहूं की कीमतों पर लगाम कसना सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है.  तो सरकार के गोदामों में स्टॉक में कमी के चलते कीमतों पर लगाम कसने के लिए बाजार में गेहूं बेचने का फैसला लेना सरकार के लिए आसान नहीं रहने वाला है. 


गेहूं के फसल की बंपर बुआई


इस सीजन में गेहूं की फसल की बुआई 25.6 मिलियन हेक्टेयर में की गई है जो बीते वर्ष के मुकाबले 25.4 फीसदी ज्यादा हुई है. लेकिन अप्रैल 2023 के बाद ही नए फसल के बाजार में आने की उम्मीद है. 


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