नई दिल्लीः अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को भारत का 'महत्वपूर्ण सुधार' बताया. हालांकि इस वित्तीय संगठन ने साथ में यह सलाह भी दी है कि जीएसटी के ढांचे को और आसान बना कर इसमें टैक्स की केवल दो दरें रखना ज्यादा फायदेमंद होगा. आईएमएफ ने कहा है कि इसमें टैक्स की दरों की संख्या ज्यादा रहने से इन्हें लागू करवाने और टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन की लागत बढ़ती है.

जीएसटी में दो टैक्स स्लैब होने चाहिएः आईएमएफ आईएमएफ ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि जीएसटी में दो टैक्स स्लैब होने चाहिये, जिसमें एक मानक दर हो जिसका स्तर कम हो और दूसरी दर चुनिंदा वस्तुओं के लिए हो जो ऊंची हो. इससे जीएसटी प्रणाली प्रगतिशील होगी और इसमें राजस्व निरपेक्षता भी बनी रहेगी. आईएमएफ ने कहा कि भारत की टैक्स नीति में जीएसटी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. इसने केंद्र और राज्यों के अलग-अलग इनडायरेक्ट टैक्सेज को एकीकृत करने और उनमें सामंजस्य बैठाने का काम किया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी में कई दरों और छूटों की वजह से जीएसटी की संरचना अभी जटिल है. इसकी प्रगतिशीलता को नुकसान पहुंचाये बिना इसे अधिक सरल बनाया जा सकता है और कम अनुपालन और एडमिनिस्ट्रेशन कॉस्ट में महत्वपूर्ण रूप से कमी जा सकती है.

आईएमएफ ने जीएसटी में दो स्लैब रखने का सुझाव दिया है. इसमें एक कम और एक अधिक दर वाली होनी चाहिये. यह जीएसटी को उन्नत और राजस्व को तटस्थ बनाये रखने में मदद कर सकती है. इसके अलावा, छूट को व्यवस्थित करने से अनुपालन और प्रशासनिक लागत कम हो जायेगी. रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत ऐसे पांच देशों के समूह में शुमार है, जहां चार या उससे अधिक जीएसटी दरें हैं. ज्यादा दरों और अन्य सुविधाओं की वजह से भारत के जीएसटी प्रणाली में उच्च अनुपालन और अधिक प्रशासनिक लागत आ रही है.

जीएसटी की तारीफ की भारत के आईएमएफ मिशन प्रमुख रानिल सलगादो ने कहा कि जीएसटी ने व्यापार के लिये आंतरिक बाधाओं को कम करके पहली बार एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बनाया है. जिससे 1.3 अरब से ज्यादा आबादी वाले बाजार में एक फ्री ट्रेड समझौता स्थापित हुआ है. जीएसटी में इस समय चार दरें पांच, 12, 18 और 28 फीसदी लागू है. सरकार और जीएसटी परिषद के सदस्यों ने संकेत दिया है कि दरों की संख्या आगे चल कर घटायी जा सकती है.